जानिए आखिर क्यों खतरनाक है दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चोटी
K2 को अक्सर 'सायरन ऑफ हिमालय' कहा जाता है
K2 को अक्सर 'सायरन ऑफ हिमालय' कहा जाता है. माना जाता है कि 20 में से सिर्फ एक पर्वतारोही ही इस पर्वत चोटी पर चढ़ने में सफल हो पाता है. इस वजह से इसे दुनिया का सबसे खतरनाक पहाड़ माना जाता है. K2 पर मौत की दर 25 फीसदी से ज्यादा है जबकि एवरेस्ट पर मृत्यु दर महज 6.5 प्रतिशत ही है.
दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर है जबकि के2 की हाइट 8611 मीटर है. फिर भी यह दुनियाभर के पर्वतारोहियों के लिए एक बड़ी चुनौती है. 2008 में यहां सबसे बड़ी त्रासदी हुई थी. एक ही दिन में 11 पर्वतारोही यहां चढ़ते वक्त मारे गए थे.
K2 की चुनौती उसकी लोकेशन की वजह से बढ़ जाती है. माउंट एवरेस्ट नेपाल में है, जो हमेशा पर्यटकों के स्वागत के लिए तैयार रहता है. सुविधाएं भी बेहतर हैं. जबकि के2 पाकिस्तान के काराकोरम रेंज में है, जहां जाना अपने आप में चुनौती है. कर्ज में डूबे इस देश में सुविधाएं न के बराबर हैं. पर्वतारोहियों को वीजा के लिए भी मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं.
एवरेस्ट के बेस कैंप तक पहुंचना ज्यादा आसान है. यहां सड़कें ज्यादा अच्छी हैं. उस पर मदद के लिए अनुभवी शेरपा आसानी से मिल जाते हैं. जबकि पाकिस्तान में ऐसा नहीं है. यहां बेस कैंप तक पहुंचने के लिए ही काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ग्लेशियर, बर्फ और पत्थर आपको बेस कैंप तक पहुंचने से पहले ही थका देते हैं. शेरपा मिलना भी मुश्किल होता है और सारा सामान अधिकतर आपको खुद ही लेकर चलना पड़ता है.
एवरेस्ट पर हर साल बड़ी संख्या में पर्वतारोही आते हैं. इस वजह से यहां चोटी तक रूट काफी अच्छे तरीके से बन गया है. आपको बहुत ज्यादा खड़ी चढ़ाई नहीं चढ़नी पड़ती. मगर के2 का रूट स्पष्ट नहीं है. आपको पहाड़ों और मौसम के रहम पर ही आगे बढ़ना होता है. यह पहाड़ त्रिकोण है, इसलिए एक दिन पूरे आपको खड़ी चढ़ाई करनी होती है. यहां एक-एक दिन चुनौतीपूर्ण होता है.
एवरेस्ट पर चढ़ते वक्त शुरुआती एक या दो दिन में लोकल छोटे कस्बे पड़ते हैं, जिससे आपको थोड़ा सुकून मिलता है. मगर K2 पर ऐसा नहीं है, यह पहाड़ बिल्कुल सुनसान में है. दूर-दूर तक सिर्फ बर्फ ही होती है. अगर आप मुश्किल में पड़ते हो तो मदद मिलने में भी कई दिन लग सकते हैं.
पाकिस्तानी पर्वतारोही मोहम्मद अली सादपारा समेत तीन पर्वतारोहियों के शव पांच महीने के बाद सोमवार को बरामद हुए हैं. सर्दियों में एक अलग रूट से चढ़ने की कोशिश में ये तीनों 5 फरवरी से लापता थे.
एवरेस्ट दुनिया में काफी ज्यादा लोकप्रिय है. इसलिए कई कंपनियां और गाइड पर्वतारोहियों को चोटी तक ले जाने के लिए तैयार रहती हैं. पॉपुलर रूट पर रस्सियों बांधकर यहां चढ़ाई करना आसान बना दिया जाता है. मगर के2 पर ये सुविधाएं न के बराबर हैं.
के2 के खतरनाक होने का एक और कारण है. एवरेस्ट की तुलना में यहां हिमस्खलन (avalanches) आते हैं. इस वजह से के2 पर चढ़ने के लिए कौशल के साथ किस्मत की भी जरूरत होती है.
एवरेस्ट की तुलना में के2 उत्तर में स्थित है. इस वजह से यहां के मौसम के बारे में कभी कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती. आपको नहीं पता कि आगे आपको क्या सामना करना पड़ सकता है.