जानें क्‍यों अमेरिका में हो रही राजनीतिक कलह और हिंसा, ये है वजह

विश्‍व के सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश अमेरिका में सत्‍ता को लेकर संघर्ष से पूरी दुनिया को हैरानी में डाल दिया है।

Update: 2021-01-08 05:17 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विश्‍व के सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश अमेरिका में सत्‍ता को लेकर संघर्ष से पूरी दुनिया को हैरानी में डाल दिया है। सत्‍ता के लिए विकासशील एवं पिछड़े मुल्‍कों की तरह राजनीतिक व्‍यवहार करने वाले अमेरिका की इस घटना ने दुनिया का अचरज में डाल दिया है। दुनिया के लोकतांत्रिक देशों के यह एक अप्रत्‍याशित, भयावह और निश्चित रूप से व्‍यथि‍त करने वाली घटनाएं हैं। अमेरिका में सत्‍ता हस्‍तांतरण के लिए इस तरह का संघर्ष अमेरिकी इतिहास में पहली बार देखा गया। आखिर इस हिंसा के पीछे सबसे बड़ी वजह क्‍या है ? इसके लिए राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के समर्थकों ने जनवरी का प्रथम सप्‍ताह ही क्‍यों चुना ? इसके पीछे क्‍या है प्रमुख कारण। अमेरिकी कांग्रेस में अब किसका चलेगा सिक्‍का ? कैसे आसान हुई अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति जो बाइडन की सत्‍ता की बागडोर ? इन सब मुद्दों की पड़ताल करती ये स्‍टोरी।

आखिर क्‍यों मायूस हुए ट्रंप के समर्थक

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के समर्थक उस वक्‍त मायूस हो गए, जब उनको अंतिम तौर पर लग गया कि अब सत्‍ता उनके हाथ से पूरी तरह से फ‍िसल गई है। दरअसल, अमेरिका के राष्‍ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक जो बाइडन और उप राष्‍ट्रपति की जीत पर अमेरिकी कांग्रेस ने अंतिम मुहर लगा दी। अमेरिका में सत्‍ता हस्‍तांतरण की यह अंतिम कड़ी है। यह अंतिम प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया जनवरी के प्रथम सप्‍ताह में संपन्‍न होती है। इस चरण के पूरा होने के बाद 20 जनवरी को अमेरिका का नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति अपने पद और गोपनियता की शपथ के बाद व्‍हाइट हाउस की गद्दी पर बैठता है। इस प्रक्रिया के बाद राष्‍ट्रपति चुनाव की संपूर्ण प्रक्रिया समाप्‍त हो जाती है।
कांग्रेस की अंतिम मुहर के बाद ट्रंप के सभी रास्‍ते हुए बंद

गौरतलब है कि कोरोना महामारी के बीच अमेरिका में गत तीन नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव हुआ था। इसमें डेमोक्रेट उम्‍मीदवार जो बाइडन की जीत हुई थी और रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्‍याशी डोनाल्‍ड ट्रंप की पराजय का सामना करना पड़ा। चुनाव नतीजे आने के दो माह बाद भी ट्रंप ने बाइडन के हाथों अपनी हार नहीं मानी और चुनाव में धांधली के आरोप लगाते रहे। उन्होंने चुनाव नतीजों को कई प्रांतों की अदालतों में चुनौती भी दी, लेकिन ट्रंप को निराशा ही हाथ लगी। अदालत से निराश होने के बाद ट्रंप देश की जनता का समर्थन हासिल करने का दंभ भरते रहे, लेकिन जब कांग्रेस ने जो बाइडन की जीत पर मुहर लगा दी तब उनके लिए सारे रास्‍ते बंद हो गए। ऐसे में उनके समर्थकों की मायूसी देश की बड़ी हिंसा में तब्‍दील हो गई।
उच्‍च सदन और निम्‍न सदन पर डेमोक्रेट्स का कब्‍जा

राष्‍ट्रपति पद पर कब्‍जा करने के साथ अमेर‍िकी सीनेट पर डेमोक्रेटिक पार्टी का नियंत्रण हो गया है। यह अमेरिका का उच्‍च सदन है। जार्जिया में दो सीटों की जीत के साथ डेमोक्रेटिक पार्टी ने बढ़त हासिल कर ली है। इस तरह से अमेरिका के निचले सदन यानी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में बहुमत के साथ ही सीनेट में भी डेमोक्रेटिक पार्टी का पलड़ा भारी हो गया है। यह रिपब्लिकन पार्टी और ट्रंप के लिए बड़ा झटका है। सीनेट में अब दोनों ही पार्टियों के पचास-पचास सांसद हो गए हैं। अब किसी भी मुद्दे पर बराबर के वोट आने पर 20 जनवरी को शपथ लेने वाली डेमोक्रेटिक पार्टी की उप राष्‍ट्रपति कमला हैरिस का वोट निर्णायक साबित होगा। सीनेट में ताकत बढ़ने से भावी राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए अब नई नियुक्तियां करने का रास्ता आसान हो गया है। उनको अब अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।


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