जानिए क्यों पाकिस्तान को सता रहा एफएटीएफ के प्रतिबंधों का डर

पाकिस्तान की खबर

Update: 2022-01-26 15:38 GMT
इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के लिए धन जुटाने का एलान तो कर दिया, लेकिन अब स्टेट बैंक को यह भय सताने लगा है कि कहीं इसके कारण देश को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना न करना पड़े। एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, स्टेट बैंक आफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने वित्त मंत्रालय को अफगानिस्तान सरकार के राहत कोष के लिए घरेलू अथवा विदेशी चंदा नहीं जुटाने की सलाह दी है।
उसका कहना है कि बिना किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन की सहभागिता के तालिबान सरकार के लिए चंदा जुटाना पाकिस्तान को भारी पड़ सकता है। उसे मनी लांड्रिंग विरोधी और टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। एफएटीएफ अगले ही महीने कई पैमानों पर पाकिस्तान के प्रदर्शन की समीक्षा करने वाला है।
बता दें कि पेरिस स्थित संस्था ने पाकिस्तान को जून 2018 के बाद से ग्रे लिस्ट में रखा है। अबतक पाकिस्तान ने ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए सुझाई गई दो कार्य योजनाओं पर अमल नहीं किया है। इनमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकियों पर मुकदमा चलाना और उनकी संपत्तियों को जब्त करना शामिल है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक एसबीपी को और अधिक स्वतंत्रत बनाने के लिए विधेयक लाए जाने के बाद से यह पहला मौका है, जब उसने सरकार की राहत कोष योजना के खिलाफ कोई कदम उठाया है।
अतिरिक्त छह अरब डालर की सहायता सुविधा के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के साथ समझौते के तहत केंद्रीय बैंक को स्वायत्तशासी बनाने की दिशा में पहल की गई है। पाकिस्तान सरकार ने वित्त विभाग के माध्यम से दिसंबर के अंत में एसबीपी को अफगानिस्तान राहत कोष के लिए एक संग्रह खाता खोलने को कहा था। इसमें तालिबान को बैंकिंग चैनलों के माध्यम से भुगतान किए जाने का प्रस्ताव भी शामिल था। तब एसबीपी ने इसे चुनौतीपूर्ण करार दिया था।
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