ईरान और अमेरिका के बीच की न्यूक्लियर डील पर वार्ता जानें- किस मोड़ पर आकर खत्म हुई, अब आगे क्या होगा

ईरान और अमेरिका के बीच करीब 11 माह से चली वार्ता अब एक अहम मुकाम पर आकर खत्म हो गई है। अब केवल इन दोनों देशों को इस पर फैसला लेना है। फिलहाल इस बारे में अब कोई और बैठक नहीं होगी।

Update: 2022-03-08 04:45 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वियना में चली ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता फिलहाल खत्म हो गई है। दोनों देशों के बीच इस वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहीं यूरोपीयन यूनियन की एनरिक मोरा ने ट्वीट कर कहा है कि अब वक्त दोनों देशों को फैसला लेने को है। अब कोई न एक्सपर्ट टाक होगी और न ही कोई फोर्मल बैठक ही होगी। ये वक्त है कि जब आने वाले कुछ दिनों के अंदर वियना वार्ता को खत्म करने के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति के साथ इस बारे में कोई फैसला लें। अब बातचीत को विराम देने की जरूरत है। उन्होंने ये भी कहा है कि वर्ष 2015 में हुई न्यूक्लियर डील को टूटने से बचाने के लिए अब केवल फैसला लेने की जरूरी है।

मोरा ने ये ट्वीट इस वार्ता से ईरान के प्रमुख वार्ताकार अली बघेरी कानी के चले जाने के बाद किया है। मीडिया रिर्पोट में कहा गया है कि कानी वार्ता में हुए फैसलों पर अपने देश की सरकार से विचार विर्मश के लिए गए हैं। रिर्पोट में ये भी कहा गया है कि इसके बाद एक्सपर्ट एक बार फिर इस वार्ता के लिए बैठेंगे। दूसरी तरफ व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन पास्की ने बताया है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश ईरान से न्यूक्लियर डील के काफी करीब हैं, लेकिन इसके बावजूद भी कुछ बिंदुओं पर अब भी सहमति नहीं बन सकी है। हालांकि उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि वो कौन से बिंदू हैं जिनपर अब तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका है।
इस वार्ता के टूट जाने से तेहरान के न्यूक्लियर वैपंस की तरफ फिर से बढ़ जाने की आशंका बढ़ जाएगी। इससे मध्य एशिया में युद्ध का खतरा बढ़ जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो ईरान पर फिर से कड़े प्रतिबंध लगाने पड़ जाएंगे। इसका असर सीधेतौर पर वैश्विक बाजार में बढ़ती क्रूड आयल की कीमतों पर पड़ेगा। बता दें कि वैश्विक बाजार में पहले से ही तेल की कीमतें काफी बढ़ी हुई हैं। परमाणु वार्ता में शामिल सभी पार्टियां ये मान रही हैं कि आने वाले दिनों में इस पर कोई फैसला हो जाएगा। इस वार्ता में शामिल फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी पहले ही इस वार्ता से अलग हो चुके हैं, क्योंकि वो मानते हैं कि जिस चीज को लेकर वो इस वार्ता में शामिल हुए थे, वो मकसद अब पूरा हो चुका है, अब केवल इस वार्ता के दो मुख्य देशों को इस पर फैसला लेना है। इसमें ये भी शामिल है कि ईरान पर लगे प्रतिबंधों को कितना कम किया जा सकता है।
आपको बता दें कि करीब एक सप्ताह पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गी लेवरोव के एक बयान से माहौल तनावपूर्ण हो गया था। उन्होंने कहा था कि जबतक रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी रहती है तबतक ईरान पर लगे प्रतिबंधों को हटाया नहीं जाना चाहिए। सर्गी ने इस बारे में अमेरिका से गारंटी तक मांगी थी।


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