जानिए कैसा बदलेगी मंगल ग्रह की सूरत

मंगल ग्रह की सूरत

Update: 2021-11-24 14:59 GMT
यह अब भी एक बहस का विषय है कि क्या मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन के अनुकूल हालात हो सकते हैं या पैदा किए जा सकते हैं. मंगल पर जाने के लिए प्रयास करने वाले भी किसी तरह से निराश नहीं हुए हैं. पृथ्वी से बहुत सारी समानताएं उन्हें आशावान बनाए रखे हैं. वे मंगल पर टैराफॉर्मिंग (terraforming) की बहुत बात करते हैं. जिससे वहां का तापमान अधिक बढ़ाया जा सके. लेकिन वैज्ञानिकों ने मंगल पर एक कृत्रिम मैग्नेटिक फील्ड (Artificial Magnetic Field) पैदा करने की योजना बनाई है जो दोनों ग्रहों में सबसे बड़ा और निर्णायक अंतर भी है.
मंगल और पृथ्वी
मंगल और पृथ्वी के बीच अंतर और समानता ने वैज्ञानिकों को भी बहुत उत्साहित किया है. दोनों के दिन की लंबाई एक सी होती है. मंगल पर भी खूब पानी है, लेकिन तापमान कम होने के कारण वह बर्फ के रूप में है फिर भी इससे वहां सांस लेने वाले वायुमंडल की संभावना बनती है. लेकिन एक अंतर दोनों में बहुत बड़ा फर्क ला देता है. इसीलिए मंगल पर एक मैग्नेटिक फील्ड की जरूरत है.
मैग्नेटिक फील्ड के फायदे
मैग्नेटिक फील्ड को होने से मंगल का सौर पवनों और आयनीकृत कणों से बचाव हो सकता है. पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड के कारण ही उसकी सतह पर उच्च ऊर्जा वाले आवेशित कण नहीं पहुंच पाते हैं. वे अपना रास्ता बदल लेते हैं जिससे पृथ्वी का जीवन सुरक्षित हो जाता है. इसके अलावा सौरपवनें इस मैग्नेटिक फील्ड के कारण ही हमारे वायुमंडल को अनावृत नहीं कर पाती हैं.
मंगल पर भी था वायुमंडल
अध्ययनों और शोध में पाया गया है कि पुरातन मंगल में मोटा और पानी से समृद्ध वायुमंडल था, लेकिन एक मजबूत मैग्नेटिक फील्ड ना होने के कारण वह धीरे धीरे खत्म हो गया था. हम मंगल पर पृथ्वी के जैसा मैग्नेटिक फील्ड नहीं बनना सकते है. यह फील्ड पृथ्वी के क्रोड़ के डायनामो प्रभाव के कारण पैदा होता है जहां लोहे अयस्कों की गतिविधि पृथ्वी ही इस भूचुंबकीय क्षेत्र पैदा करती है.
मंगल पर मैग्नेटिक फील्ड क्यों नहीं
दूसरी तरफ मंगल के आंतरिक हिस्सा छोटा और ठंडा है. अभी तक इंसानों ने इतनी बड़ी तकनीक विकसित नहीं की है जिससे उन हालात में एक मैग्नेटिक डायनामो बनाने के लिए कुछ शुरू नहीं कर सकते. लेकिन एक नए अध्ययन ने बताया है कि मंगल पर कृत्रिम मैग्नेटिक फील्ड पैदा की जा सकती है.
पहले भी आ चुके हैं ऐसे प्रस्ताव
यह कोई पहली बार नहीं है मंगल पर मैग्नेटिक फील्ड पैदा करने प्रस्ताव दिया गया हो. इससे पहले भी कई तरह के प्रस्ताव दिए गए हैं जिनमें जमीन पर या फिर कक्षा में सोलेनॉइड्स बनाने की बात कही जा चुकी है. सोनेनॉइड्स स्प्रिंग की तरह की सरंचना होती है जो एक इलेक्ट्ऱॉमैग्नेटिक कुंडली होती है. इस कुंडली में विद्युत प्रवाह करने से चुंबकीय प्रभाव पैदा होता है.
क्या सुझाता है यह अध्ययन
नए अध्ययन में बताया गया है कि अगर हम एक अच्छा ग्रहीय मैग्नेटिक फील्ड पैदा करना चाहते हैं, दो हमें आवेशित कणों के शक्तिशाली बहाव की जरूरत होगी. यह प्रवाह या तो ग्रह के अंदर होना चाहिए या फिर ग्रह के आसपास चारों ओर होना चाहिए. मंगल के अंदर तो यह प्रवाह पैदा करने संभव नहीं है इसलिए वैज्ञानिकों ने दूसरे विकल्प पर विचार किया.
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अध्ययन में बताया गया है कि मंगल के आसपास आवेशित कणों का एक छल्ला बनाया जाता है जिसमें उसके चंद्रमा फोबोस मददगार हो सकता है. फोबोस मंगल के बहुत पास से उसका चक्कर लगा है. शोधकर्ताओं का कहना हैकि फोबोस की सतह से उसके कणों को आयनीकृत किया जा सकता है और उसके बाद उन्हें त्वरित कर एक प्लाज्मा बनाया जाए जिससे मंगल के हर तरफ एक मजबूत मैग्नेटिक फील्ड पैदा हो पाएगी. बाधाओं के बाद भी शोधकर्ताओं का विश्वास है कि ऐसा करने असंभव नहीं है.
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