जानें कितनी शक्तिशाली है सऊदी अरब की सेना, फौज के पास है ये घातक हथियार

सऊदी अरब की डिफेंस मिनिस्ट्री ने ऐतिहासिक फैसला करते हुए आर्मी में महिलाओं के शामिल होने की मंजूरी दे दी

Update: 2021-02-22 15:25 GMT

सऊदी अरब की डिफेंस मिनिस्ट्री ने ऐतिहासिक फैसला करते हुए आर्मी में महिलाओं के शामिल होने की मंजूरी दे दी. हालांकि, महिलाओं को जंग के मैदान से दूर रखने की भी बात कही गई है. किसी भी देश के लिए उसकी सेना में महिलाओं का प्रतिनिधित्व ऐतिहासिक होता और जब देश सऊदी अरब हो, जहां महिलाओं पर तमाम तरह की पाबंदियां हैं, वहां की महिलाओं को सेना की वर्दी पहनने का अधिकार मिलना अभूतपूर्व है. इस ऐतिहासिक फैसले की आमद के बहाने आइए जान लेते हैं सऊदी अरब की रॉयल सेना के बारे में कुछ अहम तथ्य.


अरब की आधुनिक सेना की जड़ें सऊदी राज्य में गड़ी हैं. साल 1744 में इस सेना का गठन हुआ था. साल 1901 में आधुनिक सऊदी अरब की नींव पड़ने के साथ ही सशस्त्र बलों की एक अलग शाखा के रूप में जमीनी सेना को फिर से स्थापित किया गया था. इसे आज सऊदी अरब की सेना का सबसे पुराना ब्रांच माना जाता है.

आधुनिक हथियारों से लैस फिर भी कमजोर
मुस्लिम देशों का सिरमौर बनने का ख्वाब देखता अकूत पैसे वाला सऊदी अरब अपनी सेना को मजबूत नहीं कर पाया है. ये एक कड़वी सच्चाई है. उसके पास तमाम आधुनिक हथियार और टैंक हैं, लेकिन इसे चलाने वाले को वो तैयार नहीं कर पाया है.

इसका खामियाजा उसे यमन के खिलाफ युद्द भुगतना पड़ रहा है. सऊदी अरब ने साल 2015 में यमन के हूती विद्रोहियों के खिलाफ जंग की शुरुआत की थी. शुरुआत में सऊदी को ये लड़ाई एक तरफा लग रही थी, लेकिन समय के साथ उसकी सोच जंग की आंच में लोहे की तरह पिघलती गई और वो उलझता गया.

सेना को मजबूत नहीं करने की वजह
विशेषज्ञ कहते हैं कि सऊदी की सेना बहुत कमजोर इसलिए है, क्योंकि उसके पास ट्रेनिंग नहीं है वो कि अत्याधुनिक हथियारों को चला सके. इसकी एक मुख्य वजह यह बताया जाता है कि सऊदी का शाही परिवार इस बात से डरा रहता है कि आर्मी मजबूत हुई तो तख्तापलट भी हो सकता है. इसलिए सऊदी अपनी सुरक्षा और सेना की जरूरतों के लिए अधिकतर अमेरिका और पाकिस्तान पर निर्भर रहता है.

सेना के पास हैं घातक हथियार
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट के मुताबिक, सऊदी अरब 2017 में सैन्य खर्च के मामले में तीसरे स्थान पर रहा था. उसका रक्षा बजट 69.4 अरब डॉलर था. यह मध्य-पूर्व के पांच बड़े देश इराक, इजरायल, अल्जीरिया और ओमान के कुल सैन्य खर्च से भी अधिक था.

सऊदी अरब की सेना के पास 1142 टैंक हैं. भारत के बाद सऊदी अरब सबसे अधिक हथियार आयात करता है. इसके अलावा सऊदी अरब के पास 322 रॉकेट प्रोजेक्टर्स हैं. साथ ही सऊदी की रॉयल एयर फोर्स के पास 844 एयरक्राफ्ट हैं. सऊदी के रॉयल एयरफोर्स के पास यूरोफाइटर टाइफून भी हैं. इतने आधुनिक हथियारों से लैस होने के बावजूद सऊदी यमन के खिलाफ युद्ध में उलझता ही जा रहा है.


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