जानिए देश की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली सीरम कंपनी के बारे में, अमेरिका भी मानता है लोहा
पूणे के सीरम इंस्टीट्यूट में गुरुवार दोपहर आग लगने से अफरातफरी मच गई है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पूणे के सीरम इंस्टीट्यूट में गुरुवार दोपहर आग लगने से अफरातफरी मच गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीरम इंस्टीट्यूट की इमारत में आग लगी है. बीसीजी टीका बनाने वाली इमारत में आग लगी है. आग बुझाने का काम युद्ध स्तर पर शुरू है. आपको बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट ने कोरोना वैक्सीन बनाई है. भारत का वैक्सीनेशन प्रोग्राम दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीनेशन ड्राइव है. इस वर्ष जुलाई तक करीब 30 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट करने की योजना सरकार ने तैयार की है.
आज हम आपको सीरम इंस्टीट्यूट के बारे में कुछ खास बातें बता रहे हैं.
कुछ वैक्सीन चाय से भी सस्ती-सीआईआई की कुछ वैक्सीन 5 रुपए की कीमत पर भी बिकती हैं यानी चाय के एक कप से भी सस्ती. भारत सरकार के अलावा सीआईआई विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ), यूनीसेफ और गावी को भी वैक्सीन सप्लाई करती है. मई 2019 में एक रिपोर्ट के मुताबिक साइरस पूनावाला ने यूक्रेन को चेचक के फ्री वैक्सीनेशन के लिए 100 हजार फ्री डोज सप्लाई करने का प्रस्ताव दिया था. फोर्ब्स की तरफ से साल 2020 में आई भारतीय अमीरों की लिस्ट में साइरस पूनावा छठें नंबर हैं. बेटे अदार पूनावाला की अगुवाई में कंपनी की कीमत आज 4,000 करोड़ से भी ज्यादा की है.
1966 में हुई थी शुरुआत
एसआईआई की शुरुआत अदार पूनावाला के पिता साइरस पूनावाला ने सन् 1966 में की थी. पारसी परिवार से आने वाले साइरस ने 12,000 डॉलर के साथ उन्होंने इस कंपनी को शुरू किया था. उनका आइडिया घोड़ों के सीरम से वैक्सीन तैयार करना था. देखते ही देखते एसआईआई दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माताओं में शामिल हो गई. आज दुनियाभर में इस इंस्टीट्यूट की तरफ से1.5 बिलियन की वैक्सीन तैयार की जाती है और उन्हें बेचा जाता है. एसआईआई इस समय बीसीजी के टीके से लेकर पोलियो, डिप्थीरिया, टिटनेस और चेचक के साथ बच्चों में होने वाले टीकाकरण से जुड़ी हर वैक्सीन को तैयार करती है.
सीरम इंस्टीट्यूट में लगी आग से उठता हुआ धुआं.
घोड़ों को देखकर आया आइडिया
इतने बड़ स्तर पर वैक्सीन तैयार करने वाले साइरस पूनावाला को अब वैक्सीन किंग के नाम से जानते हैं. साइरस पूनावाला का आइडिया कभी भी वैक्सीन बनाने का नहीं था. 20 साल की उम्र में उन्होंने रेसिंग कार बनाने का सपना देखा था. यहां तक कि जगुआर डी-टाइप का प्रोटोटाइप मॉडल भी उन्होंने 120 डॉलर में तैयार कर डाला था.
लेकिन उन्हें जल्द ही पता लगा गया कि वह इस काम को नहीं कर पाएंगे. इसलिए उन्होंने अपने परिवार के बिजनेस जो कि घोड़ों के अस्तबल से जुड़ा था, उसे ही आगे बढ़ाने का सोचा. वह यहां पर काम करते थे और यहीं से उन्हें वैक्सीन बनाने का आइडिया आया था.
एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाला.
दुनिया मानती है सीरम इंस्टीट्यूट का लोहा
अमेरिका जैसे पावरफुल देश भी सीरम इंस्टीट्यूट से वैक्सीन बनवाते है. आपको बता दें, तीन जनवरी को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के 'कोविशील्ड' वैक्सीन को भारत में आपात उपयोग के लिए मंजूरी दे दी गई थी.
पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने क्लिनिकल परीक्षण और कोविशील्ड के निर्माण के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ भागीदारी की है.
सीरम इंस्टीट्यूट ने 6 दिसंबर को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी पाने के लिए आवेदन किया था. इससे पहले ब्रिटेन और अर्जेंटीना ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को मंजूरी दे चुके हैं. साथ ही वैक्सीन के 5 करोड़ से अधिक डोज का पहले ही इसके निमार्ता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भंडारण कर लिया है.