काबुल और अफगानिस्तान अंधेरे में डूब सकता है, तालिबान नहीं चुका पा रहा बिजली का बकाया

अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद से तालिबान को लगातार कई तरह के संकटों का सामना करना पड़ रहा है।

Update: 2021-10-05 03:16 GMT

अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद से तालिबान को लगातार कई तरह के संकटों का सामना करना पड़ रहा है। अब तालिबान अफगानिस्तान में बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनियों का बकाया भुगतान करने में नाकाम हो रहा है, जिससे चलते काबुल सहित पूरे अफगानिस्तान के अंधेरे में डूबने का खतरा मंडरा रहा है।

अफगानिस्तान विद्युत आपूर्ति के लिहाज से पूरी तरह से पड़ोसी देशों से आयात पर है निर्भर
वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान के विद्युत प्राधिकरण दा अफगानिस्तान ब्रेशना शेरकात के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी दाउद नूरजाई बताते हैं कि अफगानिस्तान बिजली आपूर्ति के लिए मोटे तौर पर उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से होने वाले आयात पर निर्भर है, जिसमें से आधी आपूर्ति तो तुर्कमेनिस्तान से आती है।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के दो हफ्ते बाद इस्तीफा देने वाल नूरजाई प्राधिकरण के अधिकारियों के संपर्क में बने हुए हैं। उन्होंने वाल वाल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि घरेलू बिजली उत्पादन देश में सूखे की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसके अलावा अफगानिस्तान में राष्ट्रीय ग्रिड जैसी कोई व्यवस्था भी नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि चूंकि तालिबान अब सत्ता में है, इसलिए वह ट्रांसमिशन लाइनों पर हमला नहीं कर रहा है, जिसके चलते अफगानिस्तान को पर्याप्त बिजली मिल रही है, लेकिन जल्द ही भुगतान नहीं हुआ तो आपूर्ति रोकी जा सकती है।
इस तरह के हालात पर संयुक्त राष्ट्र लगातार चिंता जताता आ रहा है, वहीं रविवार को यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसप बोरेल ने कहा कि अफगानिस्तान पर गंभीर मानवीय, आर्थिक व सामाजिक संकट का खतरा बना हुआ है, जो क्षेत्रीय व वैश्विक मुसीबतें बढ़ाने वाला है, क्योंकि अफगानिस्तान दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है, जहां एक तिहाई आबादी दो डॉलर प्रतिदिन से भी कम की आय में गुजर-बसर कर रही है।
बीते दो दशक से यह पूरी तरह विदेशी सहायता पर निर्भर रहा है। देश की जीडीपी में अंतरराष्ट्रीय मदद का हिस्सा करीब 43 फीसदी है। इससे पहले भी बोरेल ने कहा था कि अफगानिस्तान के लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए मदद ही एक तरीका है।
अफगानिस्तान : तालिबान कंपनियों का बिजली बिल चुकाने में नाकाम, अंधेरे में डूब सकता है काबुल

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