अफगानिस्तान मामले में बार-बार रणनीति बदल रहे है जो बाइडेन, क्या 31 अगस्त की तारीख बढ़ेगी!

Update: 2021-08-26 02:49 GMT

अफगानिस्तान मामले में अमेरिकी रणनीति बार-बार बदलती रही है। इसके प्रभाव से अफगानिस्तान छोड़ने की अब तक तीन समय सीमा तय की जा चुकी है। बार-बार तारीख बदलने और 31 अगस्त अंतिम तिथि निर्धारित करने की कई वजह रही हैं।

पहली तिथि: 01 मई:
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फरवरी, 2020 में तालिबान के साथ शांति समझौता किया और अफगानिस्तान छोड़ने की तिथि 01 मई, 2021 निर्धारित की। उनका मकसद लंबे समय से चल रहे युद्ध का अंत करना था ताकि अमेरिकी हितों की रक्षा की जा सके। लेकिन जनवरी 2021 में जो बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए और उन्होंने अंतिम तिथि की समीक्षा करने का फैसला किया।
दूसरी तिथि: 11 सितंबर:
बाइडन ने 14 अप्रैल को अंतिम तिथि चार महीने तक टालने का फैसला लिया। अंतिम तिथि 9/11 हमले की 20वीं बरसी यानी 11 सितंबर, 2021 तय की गई। लेकिन इस तिथि को लेकर आलोचना शुरू हो गई, इसे अपमानजनक करार दिया गया।
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तीसरी तिथि: 31 अगस्त
बाइडन ने लोगों की आलोचना को देखते हुए एक बार फिर तारीख बदली और अंतिम तिथि 31 अगस्त कर दी। लेकिन तब अमेरिका को अंदेशा नहीं था कि तालिबान इतनी तेज गति से 15 अगस्त तक काबुल पर कब्जा कर लेगा और हालात बिगड़ जाएंगे।
सैनिकों को फिर काबुल भेजा:
बाइडन के सत्ता संभालने तक ट्रंप अपना काम कर चुके थे। बाइडन राज में अफगानिस्तान में केवल 2500 अमेरिकी सैनिक बचे थे और 16 हजार अन्य अमेरिकी नागरिक और ठेकेदार मौजूद थे। लेकिन अचानक काबुल पर तालिबान का कब्जा होने से अमेरिका को अपने लोगों को निकालने के लिए 6000 सैनिक और भेजने पड़े। फिलहाल काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा में अमेरिका के 6000 से अधिक सैनिक तैनात हैं।
1 मई की तारीख क्यों बढ़ाई :
राष्ट्रपति बाइडन प्रशासन को लगा कि तारीख बढ़ाने से अफगान सुरक्षा बलों को कुछ वक्त मिलेगा जिसमें वह खुद को तालिबान के खिलाफ तैयार कर लेंगे। बाइडन को लगा था कि अफगान सेना भले ही तालिबान को ना हरा पाए, लेकिन वह उनके आगे बढ़ने की गति को कम जरूर कर देगी। लेकिन तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका 31 अगस्त तक के कम समय में अपने लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए जूझ रहा है।
कई देशों के लिए अपने नागरिक निकालना मुश्किल:
अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन समेत कई देशों के करीब 71 हजार से अधिक लोग अब तक अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं। 21 हजार लोगों ने तो पिछले 24 घंटों के दौरान छोड़ा। लेकिन ब्रिटेन समेत कई देशों के लिए 31 अगस्त तक अपने सभी नागरिकों को सुरक्षित निकाल ले जाना मुश्किल होता दिख रहा है। हालांकि काबुल एयरपोर्ट पर अब भी अमेरिकी सैनिकों का पहरा है। अमेरिकी लोग भी चिंतित हैं कि कहीं उनके लोग भी ना छूट जाएं।
अफगान सहयोगियों को बचाना चुनौती:
अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो की सेना का सहयोग कर चुके करीब ढाई लाख अफगानिस्तानी देश छोड़ना चाहते हैं, जिनमें से 60 हजार लोगों को निकाला गया है। लेकिन बचे बाकी लोगों को अपनी जान जाने का डर है। अमेरिका और अन्य विदेशी मुल्कों के समक्ष इतने कम समय में इन लोगों को सुरक्षित निकालने की चुनौती है। उधर, अफगानिस्तान ने अफगानियों के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है।
क्या 31 अगस्त की तारीख बढ़ेगी!
31 अगस्त की तारीख फिर बढ़ाए जाने के फिलहाल कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। हालांकि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के निदेशक ने तालिबान नेताओं से बात की है, लेकिन तारीख पर कोई बयान नहीं दिया है। ब्रिटेन की अपील पर आयोजित जी-7 देशों की बैठक में तारीख बढ़ाने पर मंथन हुआ, लेकिन अमेरिका इससे सहमत नहीं हुआ। उधर, तालिबान ने धमकी दी है कि तारीख टालने का मतलब जंग होगा। तालिबान ने अमेरिका से यहां तक कह दिया है कि वह अफगानिस्तान के लोगों को देश छोड़ने की प्रेरणा देने से बाज आए। हालात को भंपते हुए अमेरिका ने तारीख बढ़ाने का फैसला नहीं लिया है।
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