जो बाइडेन ने व्लादिमीर पुतिन की आलोचना की, 'कसाई' वाले बयान से व्हाइट हाइस ने बनाई दूरी
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी जर्मन सेनाओं के कब्जे के दौरान अधिकांश वारसॉ को नष्ट कर दिया गया था, जिसका बाद में पुननिर्माण किया गया था.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) ने शनिवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) पर जबरदस्त हमला बोला और पश्चिमी देशों से उदारवादी लोकतंत्र के लिए संकल्पित होने का आह्वान किया. यूरोप की चार दिवसीय यात्रा पर गए बाइडेन ने विश्व के अन्य नेताओं के साथ मुलाकात के दौरान पुतिन के बारे में कहा, 'यह शख्स सत्ता में नहीं रह सकता.' बाइडेन ने पहले पुतिन को 'कसाई' कहा था, लेकिन बाद में व्हाइट हाउस (White House) ने इससे दूरी बनाई.
जो बाइडेन के इस बयान के बाद उनके सहयोगी स्पष्ट कर रहे थे कि उन्होंने मॉस्को में सरकार में तत्काल बदलाव का आह्वान नहीं किया था. क्रेमलिन (रूस के राष्ट्रपति कार्यालय) के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बाइडेन की निंदा करते हुए कहा, 'रूस में कौन सत्ता में रहेगा यह ना तो अमेरिका के राष्ट्रपति तय करेंगे और ना ही अमेरिकी लोग.' वारसॉ के प्रतिष्ठित रॉयल कैसल पहुंचने से पहले अपने लगभग 30 मिनट के भाषण में उन्होंने पश्चिमी सहयोगियों से 'आजादी के लिए नई लड़ाई' में एक कठिन डगर पर चलने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया है.
नाटो के क्षेत्र पर आक्रमण करने के खिलाफ
उन्होंने नाटो राष्ट्र के 'एक इंच' क्षेत्र पर भी आक्रमण करने के खिलाफ पुतिन को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी. बाइडेन ने शुक्रवार को पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेजेज डूडा के साथ एक बैठक के दौरान कहा, 'मुझे यकीन है कि व्लादिमीर पुतिन नाटो को विभाजित करना चाहते थे. लेकिन वह ऐसा कर नहीं सकते हैं क्योंकि हम एकजुट हैं.' पोलैंड में बाइडेन ने 'लोकतंत्र के लिए निरंतर संघर्ष' की बात करते हुए एक स्वतंत्र समाज में आवश्यक सिद्धांतों के साथ कानून के शासन और प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लेख किया.
लोकतंत्र के लिए लंबे संघर्ष को याद किया
इस दौरान पोलैंड में उनके समकक्ष आंद्रेजेज डूडा और उनकी लॉ एंड जस्टिस पार्टी के सदस्य भी मौजूद थे. बाइडेन ने अपने भाषण में पोलैंड के लोकतंत्र के लिए लंबे संघर्ष को याद किया. वारसॉ के रॉयल कैसल में उन्होंने पोलैंड के आजादी के लिए संघर्ष को याद किया. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी जर्मन सेनाओं के कब्जे के दौरान अधिकांश वारसॉ को नष्ट कर दिया गया था, जिसका बाद में पुननिर्माण किया गया था.