यूक्रेन-रूस में तनाव के बीच बातचीत करेंगे जो बाइडेन और व्लादिमीर पुतिन
अमेरिका और उसके सहयोगी रूस के साथ वर्तमान हालात को लेकर चर्चा करने को तैयार हैं.
अमेरिका (America) के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) यूक्रेन (Ukraine) के पास रूसी सेना (Russian Army) के बढ़ते दखल पर फोन पर चर्चा करेंगे. इस संकट को समाप्त करने की दिशा में बेहद मामूली प्रगति के बीच, दोनों देशों के राष्ट्रपति पिछले कुछ हफ्तों में दूसरी बार फोन पर बातचीत करेंगे. यूक्रेन को लेकर तनाव अपने चरम पर है, क्योंकि मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि रूस ने यूक्रेन (Russia-Ukraine Tensions) से लगने वाली सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की है. इस वजह से तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ गया है.
दोनों नेताओं के गुरुवार को फोन पर बात करने से पहले, व्हाइट हाउस (White House) ने संकेत दिया कि बाइडेन, पुतिन को यह स्पष्ट कर देंगे कि एक राजनयिक मार्ग हमेशा खुला रहेगा, भले ही रूस ने करीब 1,00,000 सैनिकों को यूक्रेन की ओर भेजा हो और पुतिन ने पूर्वी यूरोप (Eastern Europe) में सुरक्षा गारंटी के लिए अपनी मांगों को आगे बढ़ाया हो. अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर बताया कि बाइडेन इस बात को दोहराएंगे कि बातचीत में वास्तविक प्रगति तब हो सकती है, जब वहां से सैनिकों को हटाने की बात हो, ना कि बढ़ाने की.
सात दिसंबर को भी दोनों नेताओं ने की बात
इस बातचीत के लिए आग्रह रूसी अधिकारियों ने किया था. अमेरिकी और रूस के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच जिनेवा (Geneva) में 10 जनवरी को होने वाली वार्ता से पहले यह बातचीत हो रही है. दोनों नेताओं ने सात दिसंबर को वीडियो कॉल पर बात की थी. उस बैठक के दौरान दोनों नेता यूक्रेन सीमा पर बढ़ते तनाव के मद्देनजर यूरोप (Europe) में सुरक्षा पर बातचीत जारी रखने के लिए दूतों की नियुक्ति पर सहमत हुए थे. वहीं, क्रेमलिन (Kremlin) के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने पुष्टि की कि पुतिन गुरुवार को जो बाइडेन के साथ बात करेंगे, लेकिन इस बारे में अधिक जानकारी नहीं दी.
रूस की मांगों को नाटो ने ठुकराया
इस महीने की शुरुआत में, मॉस्को (Moscow) ने सुरक्षा दस्तावेजों का मसौदा प्रस्तुत किया, जिसमें नाटो से यूक्रेन और अन्य पूर्व सोवियत देशों को अपनी सदस्यता नहीं देने को कहा गया. इसके अलावा, मध्य और पूर्वी यूरोप में अपनी सैन्य तैनाती को वापस लेने की मांग की गई थी. अमेरिका और उसके सहयोगियों ने नाटो के सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा कि सदस्यता किसी भी योग्य देश के लिए खुली है. साथ ही इसने रूस को इस तरह की गारंटी देने से इनकार कर दिया. हालांकि, अमेरिका और उसके सहयोगी रूस के साथ वर्तमान हालात को लेकर चर्चा करने को तैयार हैं.