जिनपिंग ने कर दिया था ऐलान, अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से निपटेगी चीन की 'वुल्फ वॉरियर डिप्लोमैसी', 2019 में

कोरोना का पहला मामला चीन में सामने आया था

Update: 2021-06-20 16:57 GMT

कोरोना का पहला मामला चीन में सामने आया था. इसके बाद से चीन दुनिया के कई देशों के निशाने पर बना हुआ है. अमेरिका सहित कई देश वुहान लैब लीक थ्योरी का समर्थन कर रहे हैं और कोरोना उत्पत्ति जांच की मांग कर रहे हैं. कुछ दिनों पहले ब्रिटेन में हुए जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन में भी चीन दुनिया के सात विकसित देशों के निशाने पर रहा. अब चीन ने वैश्विक प्रतिबंधों का सामना करने के लिए एक नई डिप्लोमैसी अपनाने का फैसला किया है, जिसका नाम चीन ने 'वुल्फ वॉरियर डिप्लोमैसी' रखा है.

जी-7 सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें चीन के खिलाफ कई तरह के प्रतिबंध लगाने की बात कही कई थी. अब खबर आ रही है कि चीन की सरकार वुल्फ वॉरियर डिप्लोमैसी' से इन प्रतिबंधों का सामना करेगी. इस डिप्लोमैसी को सबसे पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दुनिया के सामने रखा था.
जवाब देने के लिए जरूरी 'वुल्फ वॉरियर डिप्लोमैसी'
न्यूजवीक ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि वुल्फ डिप्लोमैसी को लेकर चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि चीन तेजी से विकास कर रहा है इसीलिए पश्चिमी देश उसके खिलाफ एकजुट हो रहे हैं. उन्होंने चीन की आक्रामत नीति को लेकर कहा कि वुल्फ वॉरियर डिप्लोमैसी बेहद जरूरी है ताकि इन देशों को जवाब दिया जा सके.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमारा राजनीतिक संकल्प मजबूत होना चाहिए ताकि हम किसी भी चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना कर सकें. विदेश मंत्री ने कहा कि राजनयिकों के भीतर समर्पण का जज्बा पैदा किया जा रहा है. बता दें कि 'वुल्फ वॉरियर डिप्लोमैसी' के बारे में सबसे पहले शी जिनपिंग ने 2019 में जानकारी दी थी.
राजनयिक हैं चीन के 'वुल्फ वॉरियर'
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों का सामना करने के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया था. उस वक्त चीन अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर और हांगकांग में हो रहे विरोध प्रदर्शन जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा था. जानकारों का मानना है कि चीन अपने राजनयिकों को उनके आक्रामक रवैये के लिए 'वुल्फ वॉरियर' कह रहा है. चीन की एक लोकप्रिय फिल्म के मुताबिक इसका मतलब 'हीरो का अटैकिंग पोजिशन' में होना है.


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