जापान कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए आजादी के सौदे को तैयार, नहीं है लॉकडाउन का प्रावधान

जापान में कोरोना संक्रमण से परेशान लोग इस महामारी के मुकाबले के लिए अपनी कुछ स्वतंत्रताओं का सौदा करने को तैयार हैं।

Update: 2021-05-02 12:45 GMT

जापान में कोरोना संक्रमण से परेशान लोग इस महामारी के मुकाबले के लिए अपनी कुछ स्वतंत्रताओं का सौदा करने को तैयार हैं। ये बात के एक जनमत सर्वेक्षण से सामने आई है। दरअसल, जापान में लॉकडाउन जैसे उपायों का संविधान में प्रावधान नहीं है। इसलिए लोग बदलाव चाहते हैं।

इस सर्वे में 57 फीसदी लोगों ने राय जताई कि संविधान में संशोधन कर उसमें आपातकालीन प्रावधान शामिल किए जाने चाहिए, ताकि कोरोना वायरस महामारी और दूसरी आपदाओं का बेहतर ढंग से मुकाबला किया जा सके। सिर्फ 42 प्रतिशत लोगों ने यह कहा कि संविधान में ऐसा कोई प्रावधान शामिल करने की जरूरत नहीं है।
ये सर्वे जापान की समाचार एजेंसी क्योदो ने किया। सर्वे मार्च से अप्रैल के बीच किया गया। जापान में सोमवार यानी तीन मई को संविधान दिवस मनाया जाएगा। इससे ठीक पहले इस सर्वे के नतीजे जारी किए गए हैं। क्योदो के मुताबिक उसने 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के तीन हजार लोगों की राय इस सर्वेक्षण में ली।जापान के संविधान के तहत नागरिकों को संपत्ति का अधिकार हासिल है। सर्वे में पूछा गया कि क्या इस अधिकार के तहत उन लोगों के आर्थिक नुकसान की भरपाई सरकार को करनी चाहिए, महामारी के कारण सरकार ने जिनके कामकाज के घंटों में कटौती की है।
रेस्तरां व बार को देती है मुआवजा
इस सवाल पर बंटी हुई राय सामने आई। 50 फीसदी लोगों ने कहा कि सरकार को संविधान के प्रावधान के तहत ऐसी भरपाई करनी चाहिए, लेकिन 47 प्रतिशत लोगों ने इसके खिलाफ राय जताई। ये सवाल खासकर रेस्तरां और बार के मामले में था, जिनके खुले रहने की अवधि महामारी के प्रावधानों के तहत घटा दी गई है। फिलहाल, सरकार इसके बदले एक सीमित मुआवजा दे रही है, लेकिन वह संविधान के उस प्रावधान के अनुरूप नहीं है, जिसे 'सुप्रीम लॉ' कहा जाता है।
महामारी से भयभीत हैं लोग
सर्वे से सामने आया कि जापान के लोग करोना महामारी से भयभीत हैं। जानकारों के मुताबिक इसीलिए ज्यादातर लोग महामारी पर काबू पाने के लिए सख्त उपायों का समर्थन कर रहे हैं। इसीलिए उन्होंने संविधान में आपातकालीन प्रावधान शामिल करने का समर्थन किया है, ताकि महामारी से निपटने के लिए सरकार को अधिक अधिकार मिल सकें।
जापान के मौजूदा संविधान के तहत सरकार महामारी से निपटने के लिए वैसा सख्त लॉकडाउन लागू नहीं कर सकती, जैसा बहुत से देशों में लगाया गया है। इसलिए यहां सकार को लोगों और कारोबारियों के स्वैच्छिक सहयोग पर निर्भर करना पड़ा है। लेकिन इससे महामारी पर काबू नहीं पाया जा सका है।
संविधान में आज तक कोई अहम संशोधन नहीं
जापान में संविधान 1947 में लागू हुआ था। उसके बाद संविधान में आज तक कोई अहम संशोधन नहीं किया जा सका है। लेकिन ताजा सर्वे में 69 प्रतिशत लोगों ने कहा कि संविधान संशोधन में उनकी पूरी या आंशिक रुचि है। क्या सुप्रीम लॉ में संशोधन होना चाहिए, इस सवाल पर 66 फीसदी लोगों ने कहा कि ऐसा होना चाहिए। 65 फीसदी लोगों न तो कहा कि सुप्रीम लॉ आज की जरूरतों के मुताबिक नहीं रह गया है।
जापान सरकार युद्ध नहीं कर सकती
जापान के संविधान के अनुच्छेद 9 के तहत जापान सरकार कोई युद्ध नहीं कर सकती। सर्वे में 51 प्रतिशत लोगों ने इस अनुच्छेद को हटाने के पक्ष में राय जताई। 45 प्रतिशत लोगों ने कहा कि ऐसे किसी संशोधन की जरूरत नहीं है। इनमें 43 फीसदी लोगों ने कहा कि अनुच्छेद 9 के कारण जापान शांति के रास्ते पर चला है, इसलिए इसे बदलने की जरूरत नहीं है। एक दूसरे सवाल पर 79 फीसदी लोगों ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान संसद की बैठक ऑनलाइन होनी चाहिए।
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