जान बार्ग बने दुनिया के पहले क्लाइमेट रिफ्यूजी, जलमग्न हुआ पूरा इलाका तो दूसरी जगह मिला घर
जान के मुताबिक सरकार ने उन्हें जहां पर नई जगह बसाया था वहां पर करीब 40 परिवार रहते थे।
जान बार्ग की गिनती उन लोगों में होती है जो दुनिया के पहले क्लाइमेट रिफ्यूजी बने हैं। वर्ष 2016 से ही ये लोग क्लाइमेट चेंज की मार झेल रहे थे। इनका पूरा इलाका मैक्सिको की खाड़ी में पानी में करीब 90 फीसद तक डूबा हुआ था। अब इन लोगों को न सिर्फ नया घर मिल गया है बल्कि ये लोग अपने नए घर से काफी खुश भी हैं। जान की खुशी का कोई ठिकाना नहीं दिखाई देता है। उनका कहना है कि इस दिन का उन्हें बेसर्बी से इंतजार था।
ये कहानी है अमेरिका के छोटे से हिस्से में स्थित Isle de Jean Charles और यहां पर रहने वालों की जिन्हें 6 वर्ष बाद यहां से दूर Schriever में बसाया गया है। यहां के गवर्नर जान बेल एडवार्ड का कहना है कि ये अपनी तरह का एक पहला प्रोजेक्ट है जहां पर क्लाइमेट चेंज के शिकार लोगों को नया घर दिया गया है। सरकार की तरफ से इस पूरे इलाके के विकास के लिए 48 करोड़ डालर की राशि का भी आवंटन किया गया है। इन नए घरों को पाकर यहां पर आए लोग काफी खुश हैं।
जान ने एएफपी को बताया कि उन्हें इस दिन का बड़ी बेसर्बी से इंतजार था। आज वो अपने पुराने घर से करीब 60 किमी दूर नए घर में आकर रह रहे हैं। पहले जहां पर वो रहते थे उसकी भी काफी याद आ रही है। वर्ष 2016 से ही वो जगह पानी में डूब गई थी। तब से लगातार पानी बढ़ता ही जाता था। वहां पर रहते हुए मन हमेशा दुखी रहता था। आपको बता दें कि अमेरिका में इस दशक के दौरान कई तरह के मौसमी असर देखने को मिले हैं। एक तरफ जहां पर पानी का स्तर बढ़ने से कई इलाके जलमग्न हुए हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जहां पर पानी की कमी हो गई है।
जान बताते हैं कि छह साल पहले उनके पुराने घर के पास जलस्तर अधिक बढ़ गया था जिससे उनके घर डूब गए थे। जान और उनकी पत्नी Schriever में पले और बड़े हुए थे। वहीं के स्कूल में वो पढ़ने जाया करते थे। फिर धीरे-धीरे वहां पर पानी का स्तर लगातार बढ़ने लगा। उन्हें दूसरे इलाके से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क भी ज्वार बढ़ने पर पानी के नीचे चली जाती थी।
उनके मुताबिक Schriever में रहने वाले अमेरिका के मूल लोग हैं। यहां पर कई आदिवासी लोग भी अपने कबीलों में रहते थे। वर्ष 1800 से यहां पर ये लोग बसे हुए बताए जाते हैं। क्लाइमेट चेंज की वजह से इनको अपना घर छोड़ना पड़ा। जान के मुताबिक सरकार ने उन्हें जहां पर नई जगह बसाया था वहां पर करीब 40 परिवार रहते थे।