यरुशलम: इजरायली शोधकर्ताओं की एक टीम ने दूसरों की भावनात्मक अवस्थाओं को पहचानने में शामिल मस्तिष्क प्रणाली को उजागर किया है, जिसका ऑटिज्म जैसे सामाजिक विकारों के उपचार में संभावित प्रभाव हो सकता है।
ऑटिज्म एक न्यूरोडेव्लेपमेंटल डिसऑर्डर है, जिससे ग्रसित व्यक्ति सामाजिक तौर पर खुद को कटा हुआ पाता है। इस स्थिति वाले लोग अक्सर सीमित रुचियों और दोहराव वाला व्यवहार करते हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने करंट बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन ने भावनात्मक पहचान और व्यवहार से जुड़े मस्तिष्क के मीडियल प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स (एमपीएफसी) की भूमिका पर प्रकाश डाला।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम वाले व्यक्तियों में यह क्षमता अक्सर कमजोर होती है, जिससे सामाजिक संपर्क मुश्किल हो जाता है। इसके पीछे के तंत्रिका तंत्र को समझने के लिए, इजरायल के हैफा विश्वविद्यालय (यूएच) के शोधकर्ताओं ने चूहों का इस्तेमाल किया। उन्नत तकनीकों का उपयोग करते हुए टीम ने पता लगाया कि एमपीएफसी के प्री लिम्बिक भाग में न्यूरॉन्स अन्य चूहों की भावनात्मक स्थितियों पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं और पाया कि ये न्यूरॉन्स तनावग्रस्त और शांत चूहों के प्रति अलग तरह से व्यवहार करते हैं।
चूहों ने तनावग्रस्त माउस के पास रहने की प्रवृत्ति दिखाई, जो यह संकेत देता है कि उनकी प्रतिक्रिया भावनाओं से जुड़ी है। लेकिन जब एमपीएफसी की तंत्रिका गतिविधि में विघटन हुआ, तो चूहे अपनी भावनात्मक स्थिति को पहचानने की क्षमता खो बैठे। इससे पता चलता है कि एमपीएफसी में तंत्रिका गतिविधि भावनाओं को पहचानने और सामाजिक व्यवहार को प्रभावित करने की क्षमता है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि इस क्षेत्र में तंत्रिका गतिविधि का विकार भावनात्मक पहचान और सामाजिक व्यवहार की कठिनाइयों को समझाने में मदद कर सकता है, जो ऑटिज्म में देखी जाती हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, अगला कदम ऑटिज्म से संबंधित जीन उत्परिवर्तन वाले माउस पर अध्ययन करना है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि तंत्रिका गतिविधि में बदलाव उनके व्यवहार को कैसे प्रभावित करता है।