इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्टाली बेनेट (Bennett Naftali) शनिवार रात अचानक रूस जा पहुंचे. राजधानी मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादिमिर (Vladimir Putin) पुतिन और बेनेट के बीच ढाई घंटे से भी ज्यादा समय तक बातचीत हुई. इस दौरान इजराइल ने रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष में मध्यस्थता करने की पेशकश की. रूस-यूक्रेन जंग के बीच इजराइली प्रधानमंत्री का मॉस्को दौरा अब चर्चा का विषय बन गया है. दरअसल, अमेरिका का करीबी इजराइल, यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा कर चुका है. इस देश ने यूक्रेन को मानवीय सहायता भी भेजी है. ऐसे में रूस के साथ इजराइल की बातचीत काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
इजराइल का मानना है कि वह संकट को कम करने के लिए मॉस्को के साथ बातचीत बनाए रखेगा. लेकिन इस मुलाकात के पीछे सामरिक विश्लेषकों की कुछ अलग ही राय है. उनका मानना है कि इजराइल की अपने उत्तरी सीमावर्ती देश सीरिया से लगातार तनातनी चलती है. जहां इज़राइल नियमित रूप से ईरानी और हिज़्बुल्लाह सैन्य ठिकानों पर हमला करता रहता है. दरअसल रूस, सीरिया के एयरस्पेस पर नियंत्रण रखता है, इसलिए मॉस्को के साथ इजरायल को तालमेल बनाए रखना जरूरी है.
इसी से समझा जा सकता है कि इजरायल अगर इस युद्ध में यूक्रेन को समर्थन देकर रूस के खिलाफ जाता है, तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए माना जा रहा है कि यहूदी धर्म के लोगों के प्रति विशेष सहानुभूति रखने वाला इजरायल फिलहाल इस मौके पर कुछ हद तक तटस्थ बना हुआ है. बता दें कि संकटग्रस्त यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की यहूदी धर्म से ही ताल्लुक रखते हैं और वहइजरायली प्रधानमंत्री से युद्ध रोकने के लिए मध्यस्थता करने की अपील कर चुके हैं.
उधर, रूस और यूक्रेन के बीच तीसरे दौर की बातचीत 7 मार्च यानी सोमवार को पोलैंड में होने जा रही है. इससे पहले हुई दो दौर की बातचीत में संकट का कोई हल नहीं निकल पाया था. बता दें कि 24 फरवरी को रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू हुई थी.