गोलान हाइट्स में यहूदियों की आबादी दोगुनी करने का इजरायल का लक्ष्य
यहूदियों की आबादी को इसलिए भी बढ़ाना चाहता है क्योंकि यहां करीब 20,000 सीरियाई भी रहते हैं।
इजरायल का गोलान हाइट्स इलाका, जिसे आप गोलान पहाड़ी इलाका भी कह सकते हैं। इजरायल का यह इलाका कभी सीरिया का हुआ करता था लेकिन इजरायल और अरब देशों के बीच 1967 के 'मशहूर' युद्ध के बाद इस इलाके पर इजरायल का कब्जा हो गया। छह दिनों तक चले इस युद्ध में इजरायल ने अकेले कई अरब देशों को न सिर्फ करारी हार दी बल्कि उनके प्रमुख इलाकों पर कब्जा करते हुए दुनिया का नक्शा ही बदल दिया। इसमें यरुशलम और गोलान हाइट्स जैसे इलाके शामिल थे। गोलान हाइट्स इन दिनों चर्चा में है क्योंकि इजरायल इस इलाके पर 317 मिलियन डॉलर यानी करीब 23 अरब 75 करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च करने जा रहा है।
इजरायल सरकार ने गोलान हाइट्स में रहने वाले यहूदियों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है, जिसके तहत अगले पांच सालों में इस इलाके में 7300 नए घर बनाए जाएंगे। इजरायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट की कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मोहर लगा दी है। 54 साल बाद भी यह इलाका इजरायल और सीरिया के बीच अक्सर विवाद का कारण बना रहता है। लेकिन सरकार ने तय किया है कि यहां 23,000 नए यहूदियों को बसाया जाएगा और उनको यहां बसाने में 1 अरब इजरायली शेकेल खर्च किए जाएंगे।
क्यों गोलान में पानी की तरह पैसे बहा रहा इजरायल?
इजरायल इस इलाके का विकास कर देश में निवेश और टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहता है लेकिन यह सिर्फ एक छोटा-सा कारण है। दरअसल इजरायल इस इलाके में निर्माण कार्य कर गोलान हाइट्स पर अपना दावा मजबूत करना चाहता है। कब्जे के 50 से अधिक सालों के बाद भी दुनिया गोलान हाइट्स को 'इजरायल अधिकृत इलाका' कहती है। सिर्फ अमेरिका ने ही इसे आधिकारिक रूप से इजरायल का इलाका मानता है। ऐसे में इजरायल के लिए यहां 'अपने लोगों' की आबादी को बढ़ाना बहुत जरूरी है।
क्यों इतना महत्वपूर्ण है गोलान हाइट्स का इलाका?
सीरिया की राजधानी दमिश्क गोलान से सिर्फ 60 किमी दूर है। ऊंची पहाड़ियों से इसे साफ देखा जा सकता है जिसका फायदा इजरायल को मिलता है। गोलान में फसलों की पैदावार बाकी इलाकों की तुलना में ज्यादा होती है। यहां होने वाली बारिश का पानी इजरायल की बड़ी आबादी की जरूरत को पूरा करता है। यह इलाका अपनी भौगोलिक परिस्थितियों के चलते इजरायल और सीरिया के लिए रणनीतिक और राजनीतिक रूप से अहम है। एक कारण यह भी हो सकता है कि इजरायल इस इलाके में यहूदियों की आबादी को इसलिए भी बढ़ाना चाहता है क्योंकि यहां करीब 20,000 सीरियाई भी रहते हैं।