इस्लामिक रिपब्लिक और तालिबान की वार्ता खत्म, शांति प्रयासों पर जताई सहमति

इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान और तालिबान के उच्च पदस्थ प्रतिनिधिमंडलों ने दो दिनों

Update: 2021-07-19 01:50 GMT

इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान और तालिबान के उच्च पदस्थ प्रतिनिधिमंडलों ने दो दिनों की वार्ता समाप्त की और शांति प्रयासों में तेजी लाने और उच्च स्तरीय वार्ता जारी रखने के लिए सहमत हुए, लेकिन देश में बढ़ती हिंसा के बीच लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल रहे।

बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष देश के नागरिक बुनियादी ढांचे की रक्षा करने, नागरिक हताहतों को रोकने और मानवीय सहायता में सहयोग करने पर सहमत हुए। दोनों पक्षों ने अपने बयान में वार्ता की मेजबानी के लिए कतर और अन्य देशों को शांति प्रक्रिया में उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। लेकिन बयान में हिंसा या युद्धविराम को कम करने के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया।

तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्ला अखंदजादा ने रविवार को कहा, वह संघर्ष विराम के लिए राजनीतिक समाधान का दृढ़ता से समर्थन करते हैं। अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान के लड़ाकों ने देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। अखंदजादा का यह बयान तब आया है, जब रविवार से ही अफगान सरकार और तालिबान के बीच दोहा में नए दौर की बातचीत शुरू हुई है।

इस बयान से उम्मीद जगी है कि लंबे समय से रुकी शांति वार्ता में कुछ सकारात्मक परिणाम आ सकता है। इससे पहले भी तालिबान औरअफगानिस्तान सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। हालांकि, देश में शांति और स्थिरता बनाए रखने पर दोनों पक्षों में अभी तक कोई समझौता नहीं हो सका है।

लश्कर, जैश-ए-मोहम्मद से संबंध नहीं

तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि पाक के आतंकी संगठनों लश्कर ए तायाबा व जैश ए मोहम्मद से उसका कोई संबंध नहीं है। शाहीन ने दावा किया कि लश्कर, जैश जैसे संगठनों को अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल दूसरे देशों के खिलाफ करने नहीं दिया जाएगा।

इस्लामी व्यवस्था का ही लक्ष्य

तालिबान के शीर्ष नेता ने ईद- उल-अजहा के एक हफ्ते पहले जारी संदेश में कहा कि कई महत्वपूर्ण ठिकानों पर कब्जे के बावजूद, इस्लामी अमीरात (तालिबान) राजनीतिक समझौते के पक्ष में है। इस्लामी व्यवस्था की स्थापना के लिए हर अवसर, शांति और सुरक्षा का उपयोग इस्लामी अमीरात के द्वारा उपयोग किया जाएगा।

तालिबान के हिंसा के कारण बंद थी बातचीत

कतर की राजधानी दोहा में तालिबान का राजनीतिक मुख्यालय है। अफगानिस्तान सरकार और अमेरिका के साथ बातचीत के लिए तालिबान इसी जगह बैठकें करता है। पिछले एक साल में तालिबान और अफगान सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली है। तालिबान की हिंसक कार्रवाईयों के कारण पिछले कुछ महीनों से दोनों पक्षों के बीच बातचीत बंद भी थी। अब आज यानी रविवार से फिर से नए दौर की बैठक होनी है।



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