क्या पृथ्वी के जीवन और सुपरनोवा के बीच है नाता?
क्या सुदूर अंतरिक्ष में होने वाला तारों के विस्फोट (Explosion of Stars) या सुपरनोवा का पृथ्वी के जीवन से कोई संबंध है
क्या सुदूर अंतरिक्ष में होने वाला तारों के विस्फोट (Explosion of Stars) या सुपरनोवा का पृथ्वी के जीवन (Life on Earth) से कोई संबंध है. एक नए अध्ययन में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि अवसादों में दफन जैविक पदार्थ और सुपरनोवा में बदलावों के बीच एक नजदीकी संबंध है. यह सहसबंध 3.5 अरब साल पहले भी था और 50 करोड़ साल पहले ज्यादा प्रमुखता से दिखाई दिया है. अध्ययन में पाया गया है कि एक साथ हुई सुपरनोवा की घटनाओं की वजह से पृथ्वी की जलवायु (Climate) में ऐसे परिवर्तन हुए जिससे यहां जीवन पनपने के हालात बनते गए.
जीवन के पनपना तय हुआ
डीटीयू स्पेस वरिष्ट शोधकर्ता डॉ हेनरिक सेवन्समार्क का यह अध्ययन जियोफिजिकल रिसर्च लैटर्स में प्रकाशित में प्रकाशित हुआ है. इसमें कहा गया है कि यह संबंध दर्शाता है कि उन सुपरनोवा में ऐसे जरूरी स्थितियां पैदा करने की क्षमता थी जिससे पृथ्वी पर जीवन का पनपना निश्चित हो गया.
संबंध की व्याख्या
इस अध्ययन में इन सुपरनोवा और जीवन के बीच के संबंध की व्याख्या के तौर बताया गया है कि कैसे उन सुपरनोवा ने पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित किया था. बहुत सारे सुपनोवा घटनाओं के कारण ठंडी जलवायु बनी और भूमध्यरेखा और ध्रुवीय इलाकों के बाद तापमान में बड़ा अंतर आ गया जिससे तेज हवाओं के साथ महासागरों में भी मिश्रण हुआ और जैविक तंत्रों के लिए जरूर पोषकतत्वों का आदान प्रदान हो सका.
ठंडी जलवायु जरूरी
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में बताया कि इसे पोषण की मात्रा बढ़ने लगी और बड़ी मात्रा में जैवउत्पादकता बढ़ गई. इसका नतीजा यही हुआ कि अवसादों में और भी ज्यादा मात्रा में जैविक पदार्थ दफन होने लगा. गर्म जलवायु में कमजोर हवाएं चलती हैं और महासागरों में मिश्रण भी कम होता है. इससे पोषकतत्वों की आपूर्ति कम होती है, जैवउत्पादकता कम हो जाती है और कम मात्रा में जैविक पदार्थ दफन होता है.
अवसादों में जैविक पदार्थ
सेवनमार्क ने बताया कि सबसे रोचक बात यह है कि जैविक पदार्थ का अवसादों तक पहुंच अप्रत्यक्ष रूप से ऑक्सीजन का स्रोत होता है. प्रकाश संश्लेषण से प्रकाश, पानी और कार्बन डाइऑक्साड द्वारा ऑक्सीजन और शक्कर पैदा होती है. लेकिन यदि जैविक पदार्थ अवसादों तक नहीं पहुंचता है तो ऑक्सीजन और जैविक पदार्थ कार्बन डाइऑक्साइड और पानी बन जाते हैं. जैविक पदार्थों का दफन होना यह उल्टी प्रक्रिया रोक देता है.
ऑक्सीजन पर नियंत्रण
इसीलिए सुपरनोवा अप्रत्यक्ष रूप से ऑक्सीजन का उत्पादन निंयत्रित करने वाले हो गए जो सभी जटिल जीवन का आधार है. शोधकर्ताओं ने पछले 50 करोड़ सालों में महासागारों में जमा हुई पोषक तत्वों की मात्रा का मापन किया जो सुपरनोवा की विविधताओं के साथ तार्किक रूप से सहसंबंध स्थापित करती है.
क्या कभी थे सूर्य के भी वलय, वो कैसे खत्म हो गए
शोध में बदाया है कि सुपरनोवा की घटनाओं से आई कॉस्मिक विकिरणों के आयन से बादलों में एरोसॉल की बनने की प्रक्रिया को प्रभावित किया. इससे बादलों की मात्रा प्रभावित हुई जिन धरती पर सूर्य की किरणों का आना प्रभावित होता है. प्रमाण बताते हैं कि कॉस्मिक विकिरण की तीव्रता ने जलवायु में बदलाव ला दिया था जिससे जीवन के ज्यादा अनुकूल हालात बन गए.