ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइल तैयार की, अमेरिकी सैन्य ठिकानों को बना सकती है निशाना

ईरान इस समझौते के नियमों को मानने के बदले में खुद पर लगे प्रतिबंधों को हटाने की मांग कर रहा है.

Update: 2022-02-12 10:00 GMT

ईरान ने एक नई बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic Missile) बनाई है, जो 1450 किलोमीटर की दूरी पर भी हमला कर सकती है. ईरान इसके जरिए इजरायल, खाड़ी देशों की राजधानी और मध्य पूर्व में मौजूद अमेरिकी बेस को निशाना बना सकता है. यहां के सरकारी टीवी ने बताया है कि सतह से सतह तक मार करने वाली इस मिसाइल का नाम 'खैबर शेखान' (Kheibar Shekan) है. यह नाम हिजाज क्षेत्र के खैबर में पैगंबर मुहम्मद की 7वीं सदी की सैन्य जीत पर रखा गया है. जो अब सऊदी अरब (Saudi Arabia) में है.

सैन्य प्रवक्ता ने कहा, 'यह लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल देश के भीतर ही तैयार की गई है. इसे इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने बनाया है. मिसाइल में उच्च सटीकता है और यह ठोस ईंधन द्वारा संचालित होती है. मिसाइल शील्ड्स को भी भेदने में सक्षम है.' ईरान के सशस्त्र बलों के प्रमुख मेजर जनरल मोहम्मद बघेरी ने कहा कि तेहरान का हथियार कार्यक्रम तेज गति से आगे बढ़ेगा. हम मात्रा और गुणवत्ता दोनों के मामले में अपनी मिसाइल शक्ति के विकास और उत्कृष्टता के पथ पर आगे बढ़ते रहेंगे.'
ईरान के पास मिसाइलों का सबसे बड़ा भंडार
मध्य पूर्व में ईरान के पास मिसाइलों का सबसे बड़ा भंडार है. बीते साल उसने सैन्य अभ्यास के तहत 16 बैलिस्टिक मिसाइलें लॉन्च की थीं. इसे ईरान के जनरलों ने इजरायल को चेतावनी देने वाला कदम बताया था. बघेरी ने कहा कि ईरान सैन्य उपकरणों के मामले में आत्मनिर्भर है और अगर अमेरिका के प्रतिबंध हट जाएं, तो दुनिया का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बन सकता है. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (आईआईएसएस) ने कहा कि ईरान के पास लगभग 20 तरह की बैलिस्टिक मिसाइल हैं. इसके साथ ही उसके पास क्रूज मिसाइल और ड्रोन हैं. इनकी क्षमता अलग-अलग है. कियाम-1 मिसाइल की रेंज 800 किलोमीटर है, जबकि गदर-1 की रेंज 1800 किलोमीटर है.
मिसाइलों की क्षमता में विस्तार करना प्राथमिकता
आईआईएसएस लंदन का थिंक टैंक है. उसका कहना है कि ईरान की वर्तमान प्राथमिकता अपनी मिसाइलों की क्षमता में विस्तार करना है. ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर चल रही बातचीत में उसका बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास एजेंडा में नहीं है, लेकिन खाड़ी में अमेरिका के कई सहयोगी देशों का मानना है कि ऐसा होना चाहिए. ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों को परमाणु हथियार ले जाने के अनुकूल किया जा सकता है. अगर उसने इसे विसकित कर लिया है. दूसरी तरफ इजरायल का कहना है कि अगर वियना में हो रही बातचीत असफल रहती है, तो वह ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर सकता है. ये बातचीत 2015 के ईरान परमाणु समझौते की बहाली के लिए हो रही है. जिससे अमेरिका 2018 में बाहर हो गया था. जिसके बाद से ईरान इस समझौते का उल्लंघन कर रहा है. ईरान इस समझौते के नियमों को मानने के बदले में खुद पर लगे प्रतिबंधों को हटाने की मांग कर रहा है.


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