परमाणु समझौते पर ईरान ने किया इनकार, तभी बातचीत के लिए तैयार है अमेरिका

आर्थिक प्रतिबंध हटाने और 2015 के परमाणु समझौते को बहाल करने के लिए दबाव बनाना था.

Update: 2021-03-01 10:21 GMT

अमेरिका (USA) में जो बाइडेन (Joe Biden) के राष्ट्रपति बनने के बाद से एक बार फिर ईरान परमाणु समझौते (Nuclear Deal Iran US) पर चर्चा तेज हो गई है. कई मुद्दों पर तनाव के बीच जहां ईरान सख्त रुख अपनाए हुए है, तो वहीं अमेरिका ने एक बार फिर कहा है कि वह उसके (ईरान) साथ बातचीत करने के लिए तैयार है. जो बाइडेन प्रशासन ने रविवार को कहा कि वह ईरान के साथ 2015 के परमाणु समझौते (Nuclear Deal 2015) को लेकर बातचीत करने के लिए तैयार है, जबकि ईरान ने समझौते को लेकर अमेरिका और अन्य भागीदारों के साथ बैठक में शामिल होने के यूरोपीय संघ (EU) के आमंत्रण को ठुकरा दिया है.

प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वार्ता में शामिल नहीं होने के फैसले से अमेरिका निराश है, लेकिन वह वार्ता के प्रारूप और ढांचे को लेकर लचीला रुख अपना रहा है और राजनयिक प्रक्रिया के तहत यूरोपीय संघ के आमंत्रण (EU) को ठुकराने के ईरान के फैसले पर भी गौर कर रहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका इस दिशा में आगे के कदम को लेकर अन्य सहयोगी देशों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और यूरोपीय संघ के साथ विचार-विमर्श करेगा (Nuclear Deal Countries).

ईरान ने खारिज की थी वार्ता
इससे पहले रविवार को ईरान ने वार्ता के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि बैठक के लिए यह सही समय नहीं है. राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने कहा था कि अमेरिका ईरान के साथ हुए समझौते में फिर से शामिल होगा. डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने साल 2018 में समझौते से अमेरिका के बाहर होने की घोषणा की थी. ईरान अपनी इस मांग पर अडिग है कि वह ट्रंप द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से कम किसी भी चीज पर राजी नहीं होगा. वहीं बाइडेन प्रशासन 2015 के परमाणु समझौते को इसके क्रियान्वयन की पटरी पर वापस लाना चाहता है, लेकिन तेहरान से इसे अपेक्षा के अनुरूप प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है.

वार्ता मुश्किल कर रहा ईरान
ईरान के सख्त रुख ने आगे की राह कठिन कर दी है. इससे पहले ऐसी भी खबर आई थी कि ईरान ने अपने परमाणु प्रतिष्ठानों के अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण पर रोक लगाना आधिकारिक रूप से शुरू कर दिया है (Nuclear Deal With Tehran in 2018). ईरान के इस कदम का उद्देश्य यूरोपीय देशों और अमेरिका (बाइडेन प्रशासन) पर आर्थिक प्रतिबंध हटाने और 2015 के परमाणु समझौते को बहाल करने के लिए दबाव बनाना था.


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