काबुल से अधिकारियों को बाहर निकालने की इनसाइट स्टोरी, जानें कैसे पूरा हुआ Operation Airlift
उन्होंने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि भारतीय आराम से रहें.
तालिबानी लड़ाकों ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया और हर जगह अफरा-तफरी मच गई. अधिकारियों से लेकर आम नागरिक अपनी जान बचाकर भागने के लिए तैयार हो गए. इस बीच भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी अपने अधिकारियों को अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकालना, जो की बिल्कुल भी आसान नहीं था. इस स्थिति में भारत को अमेरिकी की पूरी मदद मिली. इस दौरान विदेश मंत्रालय लगातार अमेरिका के संपर्क में बना रहा.
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया गया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से बात की. इसके बाद दोनों तरफ के अधिकारियों ने भारतीय अधिकारियों को बाहर निकालने के लिए प्लान तैयार किया. NSA अजीत डोभाल और विदेश सचिव हशवर्धन श्रृंगला ने अमेरिका के साथ भारतीय पक्ष के संपर्कों की निगरानी की. परिचालन स्तर पर, विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान) जे पी सिंह यूएस चार्ज डी अफेयर्स अतुल केशप के निकट संपर्क में रहे. कैबिनेट सचिवालय भी इस प्रक्रिया में शामिल थे.
एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग सिस्टम के जरिए लगातार कर रहे थे बात
दोनों पक्षों ने "वास्तविक समय के आधार पर" एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग सिस्टम पर बात की. केशप काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी बेस कमांडर के लगातार संपर्क में थे, ताकि भारतीय काफिले को अंदर जाने दिया जा सके. भारतीय अधिकारियों का काफिला रात को काबुल एयरपोर्ट के उस गेट पर था जहां अमेरिका का टेक्निकल सेक्शन था. वहां पर लोगों की भारी भीड़ थी. इसके बाद भारत के स्टाफ को दूसरे गेट पर आने के लिए कहा गया. इस दौरान दिल्ली, काबुल और वॉशिंगटन के बीच लगातार बात हो रही थी.
कुछ घंटों के इंतजार के बाद, भारतीय काफिले को एक खास गेट पर भेज दिया गया. केशप को अमेरिकी बेस कमांडर से मंजूरी मिलने के बाद वे एयरपोर्ट तक पहुंचने में सक्षम थे. एक बार अंदर जाने के बाद, भारतीय काफिले को एक ऐसे स्थान पर ले जाया गया, जहां से भारतीय वायु सेना के विमानों तक पहुंचा जा सकता था. वहां, अमेरिकी पक्ष, पहले से ही अफगान ट्रांसलेटर्स के परिवहन में व्यस्त था. उन्होंने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि भारतीय आराम से रहें.