भारत-अमेरिका के कार्यकर्ताओं और संगठनों ने की अपील, कहा- संजीव भट्ट को जमानत दे सुप्रीम कोर्ट

भारत और अमेरिका के कई नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और संगठनों ने भारत के उच्चतम न्यायालय |

Update: 2021-01-19 11:17 GMT

भारत और अमेरिका के कई नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और संगठनों ने भारत के उच्चतम न्यायालय से सोमवार को अपील की कि वह पूर्व पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट की जमानत मंजूर करे। इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (आइएएमसी) और 'हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स' द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में संगठनों और कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि हत्या के एक मामले में भट्ट की दोषसिद्धि ना केवल गलत है बल्कि यह झूठे सबूतों पर आधारित है। सुप्रीम कोर्ट 22 जनवरी को भट्ट की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री शशि थरूर ने कहा कि वह भट्ट के साथ हुए अन्याय से क्षुब्ध हैं। थरूर ने कहा कि समाज के लिए कर्तव्यनिष्ठ होकर सेवा करने और 'ताकतवर' से सच बोलने की क्षमता के कारण जेल भेज दिया गया। थरूर ने कहा, 'संजीव का मामला उस खराब दौर को दर्शाता है, जिसमें हम रह रहे हैं। यह वह दौर जहां सभी भारतीयों को संविधान द्वारा प्रदत्त संवैधानिक मूल्य एवं मौलिक अधिकार कई मामलों में कमजोर होते और कई बार ऐसी ताकतों द्वारा छीने जाते भी प्रतीत होते हैं जो उदार नहीं हैं।

उन्होंने कहा, 'जिन भारतीयों की अंतरात्मा संजीव भट्ट की तरह जीवित है, उन्हें खड़े होना चाहिए और इस प्रकार की चुनौतियों के खिलाफ लड़ना चाहिए, जो हमारे गणतंत्र के आधार को कमजोर करने का खतरा पैदा कर रही हैं।' प्रख्यात वृत्तचित्र फिल्म निर्माता आनंद पटवर्धन ने कहा कि भट्ट को इसलिए जेल भेज दिया गया, 'क्योंकि उन्होंने 2002 में हुए नरसंहार का विरोध किया और इसके खिलाफ आवाज उठाई।'
शास्त्रीय नृत्यांगना साराभाई ने कहा कि ऐसा नहीं है कि केवल भट्ट के मामले में उनके खिलाफ निश्चित एजेंडा चलाया जा रहा, बल्कि मोदी सरकार के अधिकतर आलोचकों के साथ ऐसा हो रहा। आइएएमसी के कार्यकारी निदेशक रशीद अहमद ने कहा,'भारत सरकार को संजीव भट्ट के मामले का राजनीतिकरण करना बंद कर देना चाहिए और स्वयं राजनीतिक बन चुके न्यायाधीशों के बजाए स्वतंत्र न्यायाधीशों की निगरानी में कानून को अपना काम करने देना चाहिए।'


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