भारतवंशी लेखक वेद मेहता ने ली 86 साल की उम्र में आखरी सांस
जाने माने भारतवंशी लेखक वेद मेहता का 86 साल की उम्र में निधन हो गया।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जाने माने भारतवंशी लेखक वेद मेहता का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। मेहता ने अपनी दृष्टिहीनता को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया और 20वीं शताब्दी के मशहूर लेखक के तौर पर चर्चित हुए। उन्होंने अपनी रचनाओं से अमेरिकी लोगों का भारत से परिचय कराया।
पत्रिका 'न्यूयॉर्कर' ने शनिवार को उनके निधन की सूचना दी। मेहता इस पत्रिका के साथ करीब 33 साल तक जुड़े रहे थे। पत्रिका ने कहा, ''30 साल से भी अधिक समय तक 'न्यूयॉर्कर' से जुड़े रहे लेखक मेहता का शनिवार सुबह 86 साल की उम्र में निधन हो गया।
विभाजन पूर्व लाहौर में 1934 में एक संपन्न पंजाबी परिवार में जन्मे मेहता ने महज तीन साल की उम्र में मेनिन्जाइटिस की वजह से अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी। हालांकि उन्होंने अपने कॅरियर के रास्ते में दृष्टिहीनता को कभी आड़े नहीं आने दिया और न ही यह उन्हें दुनिया को अपनी रचनाशीलता दिखाने से रोक सकी। उन्होंने अपने आस-पास की दुनिया को बड़ी बखूबी और सटीकता से दिखाया।
आधुनिक भारत के इतिहास और दृष्टिहीनता की वजह से उनके प्रारंभिक संघर्ष पर आधारित 12 अंकों वाला उनका संस्मरण 'कॉन्टीनेंट्स ऑफ एक्जाइल' बहुत प्रसिद्ध हुआ था और उसका पहला अंक 'डैडीजी' काफी लोकप्रिय हुआ था।
उन्होंने 24 किताबें लिखीं। इनमें भारत पर रिपोर्ताज भी शामिल है। उनकी 'वाकिंग द इंडियन स्ट्रीट्स' (1960), 'पोर्टेट ऑफ इंडिया' (1970) और 'महात्मा गांधी एंड हिज अपासल' (1977) शामिल है। इसके अलावा उन्होंने दर्शन, धर्मशास्त्र और भाषा विज्ञान पर कई रचनाएं लिखीं।
मेहता वर्ष 1982 में मैकआर्थर फाउंडेशन के 'जीनियस जाइंट' से सम्मानित हुए थे। मेहता 15 साल की उम्र में अमेरिका आ गए थे और उन्होंने लिट्ल रॉक में अरकंसास स्कूल फॉर द ब्लाइंड में शिक्षा ग्रहण की। पोमोना कॉलेज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ने के बाद उन्होंने लेखन पर ध्यान केंद्रित किया।