बेटे के डाउन सिंड्रोम पर निर्वासन का सामना कर रहे भारतीय परिवार को ऑस्ट्रेलिया में रहने की अनुमति
मेलबर्न, (आईएएनएस)| एक भारतीय परिवार, जिसे अपने बेटे के डाउन सिंड्रोम के कारण ऑस्ट्रेलिया छोड़ने के लिए कहा गया था, उन्हें अब इमिग्रेशन (आव्रजन) मंत्री एंड्र्यू जाइल्स के हस्तक्षेप के बाद स्थायी निवास की पेशकश की गई है। डब्ल्यूए टुडे ने बताया कि सात साल तक पर्थ में रहने के बाद अनीश कोलिककारा का परिवार अगले हफ्ते भारत निर्वासित होने की संभावना का सामना कर रहा था, क्योंकि उनका 10 वर्षीय बेटा आर्यन वीजा स्वास्थ्य जांच में फेल रहा।
कोल्लिक्कारा दंपति ने कहा कि उन्हें निवास से वंचित कर दिया गया, क्योंकि उनके बेटे को स्वास्थ्य प्रणाली पर 'बोझ' माना गया था। वीजा के लिए तीन साल की लड़ाई के बाद परिवार को बुधवार को आधिकारिक संदेश मिला कि जाइल्स ने हस्तक्षेप किया और उन्हें स्थायी निवास प्रदान किया।
डब्ल्यूए टुडे में परिवार के वकील सुरेश राजन के हवाले से कहा गया, विभाग ने आज सुबह हमें यह कहने के लिए फोन किया कि वे परिवार को एक ब्रिजिंग वीजा प्रदान कर रहे हैं, जब तक कि मंत्री अपना निर्णय नहीं ले लेते..और सचमुच उस कॉल के आधे घंटे के भीतर, मंत्री के कार्यालय का फोन आया और कहा कि हमने हस्तक्षेप करने और आपको पूर्ण स्थायी निवास प्रदान करने का निर्णय लिया है।
राजन ने कहा, मंत्री ने संपूर्ण मानवाधिकार सिद्धांतों को लागू किया है और हम इसके लिए उनके बहुत आभारी हैं। यह एक अविश्वसनीय निर्णय है और अविश्वसनीय रूप से त्वरित है।
इमिग्रेशन डिपार्टमेंट के मुताबिक, आर्यन की देखभाल का खर्च 10 साल में 664,000 डॉलर होगा। आर्यन की मां कृष्णा ने कहा था कि उनका बेटा किसी विकलांग सहायता सेवा पर निर्भर नहीं है।
7 न्यूज के अनुसार, दंपति के दो बच्चे निजी स्कूल में हैं और इलाज भी निजी अस्पताल में करवाते हैं। परिवार ने आर्यन के लिए मेडिकेयर का इस्तेमाल किया है, लेकिन कभी भी राष्ट्रीय विकलांगता बीमा योजना के माध्यम से वित्तीय मदद का दावा नहीं किया है।
--आईएएनएस