नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय (Foreign Ministry) ने मंगलवार को कहा कि फलस्तीन (Palestine) के रामल्ला में भारत के प्रतिनिधि मुकुल आर्य की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई और उनके निधन पर ''गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों'' की निंदा की. विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि फलस्तीन के रामल्ला में भारत के प्रतिनिधि मुकुल आर्य की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई और उनके निधन पर ''गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों'' की निंदा की.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को आर्य के निधन पर दुख जताया. आर्य की मृत्यु के संबंध में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, 'हमने रामल्ला में भारत के प्रतिनिधि श्री मुकुल आर्य के निधन पर कुछ गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियां देखी हैं. 'उन्होंने कहा, 'उनकी मृत्यु प्राकृतिक कारणों से हुई है. हम आग्रह करते हैं कि एक युवा राजनयिक के दुखद निधन पर शालीनता और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाए.'
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने राजनयिक के निधन पर अटकलबाजी वाली टिप्पणियों पर यह बयान दिया. आर्य ने काबुल, मास्को में भारतीय दूतावासों के साथ-साथ दिल्ली में विदेश मंत्रालय के मुख्यालय में भी काम किया था. उन्होंने पेरिस में यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधिमंडल में भी काम किया. आर्य ने भारतीय विदेश सेवा में शामिल होने से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया.