फेंटानिल ड्रग के इस्तेमाल का चलन तेजी से बढ़ रहा है। आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 में ही अमेरिका में 71,238 लोगों की मौत फेंटानिल ड्रग की ओवरडोज से हुई थी। अब इस ड्रग्स की चुनौती से निपटने के लिए भारत और अमेरिका साथ आए हैं और दोनों देश इसके खिलाफ मिलकर काम करने की तैयारी कर रहे हैं। अमेरिकी सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी। बता दें कि फेंटानिल एक सिंथेटिक ड्रग है, जो आमतौर पर पेन किलर के तौर पर इस्तेमाल होती है लेकिन अब इसे नशे के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
हालांकि इस ड्रग के ओवरडोज से बड़ी संख्या में लोग खासकर युवा मौत की नींद सो रहे हैं।जो बाइडन सरकार में नेशनल ड्रग कंट्रोल पॉलिसी के निदेशक डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि फेंटानिल की चुनौती से निपटने के लिए अमेरिका के साथ काम करने के लिए भारत बेहद उत्साहित है। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर नेतृत्व की अहमियत को समझता है। राहुल गुप्ता ने कहा कि जब सिंथेटिक ड्रग की चुनौती से निपटने की बात आती है तो भारत वैश्विक नेता की तरह कार्रवाई करता है।
जो बाइडन सरकार के अधिकारी डॉ. राहुल गुप्ता ने कहा कि भारत के पास बड़ी फार्मास्यूटिकल और केमिकल इंडस्ट्री है। दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों के तहत काफी काम कर रहे हैं, जिसमें सिंथेटिक ड्रग और मानसिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं। हम जानते हैं कि भारत सिंथेटिक ड्रग से निपटने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। दोनों देश ड्रग सप्लाई के रूट और नेटवर्किंग को बाधित करने साथ ही केमिकल के डायवर्जन को भी रोकने की दिशा में काम कर रहे हैं। डॉ. गुप्ता ने बताया कि केमिकल कई देशों को सप्लाई होता है, जहां इसका इस्तेमाल खतरनाक ड्रग्स बनाने में होता है।
भारत और अमेरिका ड्रग्स की रोकथाम के साथ ही नशे की लत को छुड़ाने, इसके इलाज और नशे के विस्तार को रोकने की दिशा में काम कर रहे हैं। ड्रग्स की यह समस्या कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका की आधी युवा आबादी फेंटानिल के खतरे से वाकिफ है और यह जानती है कि यह ड्रग उनकी जान ले सकती है। यही वजह है कि युवा आबादी को इस ड्रग के खतरों के बारे में जागरुक किया जा रहा है। इसके लिए कैंपेन चलाए जा रहे हैं। Naloxone or Narcan नामक ड्रग, फेंटानिल ड्रग के असर को कम कर सकती है। ऐसे में अमेरिका सरकार युवाओं को जागरुक कर रही है कि वह नालाक्सोन को हमेशा अपने पास रखें ताकि फेंटानिल ड्रग के असर को कम किया जा सके और इससे होने वाली मौतों को रोका जा सके।