शी जिनपिंग की ताजपोशी के दौरान भारत-अमेरिका का शक्ति प्रदर्शन, INS अरिहंत, USS वर्जीनिया, के-4, और अग्नि-पी...
इस साल के अंत में नौसेना में कमीशन कर दी जाएगी। वहीं, तीसरे परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिधमान को बनाने का काम जारी है।
वॉशिंगटन: एशिया महाद्वीप इस हफ्ते कई बड़े घटनाओं का गवाह रहा है। चीन में शी जिनपिंग रिकॉर्ड तीसरी बार सत्ता पर काबिज हुए। वहीं, भारत ने पहली बार अपनी परमाणु शक्ति संचालित पनडुब्बी से परमाणु मिसाइल का टेस्ट किया। इसके चंद दिनों बाद ही भारत ने अपनी अब तक की सबसे अत्याधुनिक बैलिस्टिक न्यूक्लियर मिसाइल को भी फायर किया। इस बीच अमेरिका ने भी परमाणु मिसाइलों से लैस अपने सबसे खतरनाक पनडुब्बी को अरब सागर में पाकिस्तान के नजदीक प्रदर्शित किया। ऐसा पहली बार हुआ है, जब अमेरिका ने अपनी परमाणु पनडुब्बी को पाकिस्तान के इतने करीब समुद्र की सतह पर दिखाया। इन सभी घटनाओं का कनेक्शन चीन से जोड़कर देखा जा रहा है।
शी जिनपिंग की ताजपोशी क्यों खतरनाक
शी जिनपिंग की तीसरी बार ताजपोशी को अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया जा रहा है। उनके पहले हु जिंताओ के कार्यकाल के दौरान चीन काफी खुला हुआ देश माना जाने लगा था। उस समय चीन में न तो उस तरह की सेंसरशिप थी और न ही आक्रामकता। जिनपिंग के सत्ता संभालते ही एक तरफ चीनी सेना ने आक्रामक रुख अपनाया, वहीं दूसरी तरफ उनके वुल्फ वॉरियर राजनयिकों ने दुनियाभर के देशों में अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के बीच जहर बोना शुरू कर दिया। चीन की आक्रामकता इतनी ज्यादा बढ़ गई कि अमेरिका के साथ उनका ट्रेड वॉर शुरू हो गया। जिनपिंग ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, ताइवान, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देशों के साथ चीन का दुश्मन बना लिया।
भारत ने आईएनएस अरिहंत से दागी के-4 मिसाइल
14 अक्टूबर को भारत ने अपनी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत से सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल सफल प्रक्षेपण की घोषणा की। इस दौरान न तो मिसाइल का नाम बताया गया और ना ही उसकी रेंज। मिसाइल परीक्षण जगह को भी गुप्त रखा गया। भारत के पास 750 किलोमीटर की रेंज वाली K15 और 3500 किमी रेंज वाली K-4 सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल हैं। अभी तक इन मिसाइलों को पानी के अंदर मौजूद स्थिर प्लेटफॉर्म से फायर किया जाता था। यह पहला मौका था, जब भारत ने अपनी परमाणु पनडुब्बी से इस अज्ञात बैलिस्टिक मिसाइल को फायर किया। इस मिसाइल और पनडुब्बी दोनों को संचालन भारत की स्ट्रैटजिक फोर्स कमांड करती है। सिर्फ चुनिंदा लोगों को ही आईएनएस अरिहंत की लोकेशन के बारे में पता होता है।
हिंद महासागर का भूत है आईएनएस अरिहंत
आईएनएस अरिहंत भारत की इकलौती परमाणु शक्ति संचालित पनडुब्बी है। यह हमारी बाकी की डीजल अटैक पनडुब्बियों की तुलना में काफी शक्तिशाली है। परमाणु शक्ति संपन्न होने के कारण इसे बार-बार अपनी बैटरियों को चार्ज करने के लिए सतह पर आने की जरूरत नहीं होती है। यही कारण है कि हिंद महासागर के अथाह पानी में इस पनडुब्बी की खोज करना लगभग नामुमकिन है। हिंद महासागर के भूमध्यसागरीय जल के सतह का तापमान और गहराई के तापमान में काफी अंतर होता है। ऐसे में तापमान में इतने बड़े अंतर के कारण पूर्ण आंतरिक परावर्तन नामक एक घटना होती है, जिसके कारण पनडुब्बी के सटीक लोकेशन का पता नहीं चल पाता है। ऐसे संकेत हैं कि भाारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात इस साल के अंत में नौसेना में कमीशन कर दी जाएगी। वहीं, तीसरे परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिधमान को बनाने का काम जारी है।