वॉशिंगटन। पुतिन को न्योता देने को लेकर भारत अभी दुविधा में फंसा हुआ है और वाइस ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी बाइडन के साथ मुलाकात के दौरान इस पूरे मामले पर बात कर सकते हैं। भारत को जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए अतिथियों की लिस्ट फाइनल करनी है। अमेरिका के साथ जहां भारत की नजदीकी बढ़ रही है, वहीं रूस भारत का दशकों से सबसे करीबी मित्र है। ये दोनों ही देश जी-20 के सदस्य देश हैं लेकिन इस यूक्रेन युद्ध को लेकर दोनों के बीच जंग जैसे हालात हैं।
यूक्रेन को अमेरिका ने अरबों डॉलर के हथियार और आर्थिक मदद दी है। वहीं रूस अमेरिका के इस कदम से भड़का हुआ है। इससे दोनों ही महाशक्तियों के बीच तनाव अपने चरम पर है। अमेरिका की कोशिश है कि पुतिन को किसी तरह से दुनिया में अछूत बना दिया जाए। पुतिन पर युद्धापराध के आरोप लगे हैं और गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। ऐसे में भारत का पुतिन को बुलाना अमेरिका को नाराज कर सकते हैं। इससे पहले जी7 देशों के बायकॉट के खतरे को देखते हुए जी-20 के पूर्व अध्यक्ष इंडोनेशिया ने रूस से पुतिन की बजाय विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को भेजने का अनुरोध किया था।
यही नहीं इंडोनेशिया ने किसी तरह से रूस को यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को भी वर्चुअली शामिल होने पर सहमत किया था। अब यूक्रेन फिर चाहता है कि जेलेंस्की को जी-20 के शिखर सम्मेलन में शामिल होने का न्योता दिया जाए। भारत ने साफ कर दिया है कि वह जेलेंस्की को नहीं बुलाने जा रहा है। अब भारत पुतिन को बुलाने को लेकर फंसा हुआ है। अगर भारत पुतिन को नहीं बुलाता है तो यह रूस को नाराज कर सकता है। इससे पहले भारत ने एससीओ के शिखर सम्मेलन को वर्चुअल कर दिया है जिसमें रूस के राष्ट्रपति पुतिन को भारत आना था। इससे कई एससीओ देश खुश नहीं हैं। यही वजह है कि अब बाइडन और मोदी की इस शिखर बैठक पर रूस की भी करीबी नजर बनी हुई है।