भारत ने UNSC में रूस-यूक्रेन युद्द के चलते उभरती खाद्य और ऊर्जा संबंधी समस्याओं पर डाला प्रकाश

साथ ही यह भी जाना कि खेतों से गेहूं किस तरह मंडियों में पहुंचाई जाती है। इनकी खरीद की व्यवस्था कैसी है और भंडारण का क्या प्रबंध है।

Update: 2022-05-06 04:46 GMT

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine Conflict) को दो महीने से ज्यादा हो गया है। दोनों देशों के बीच युद्ध की वजह से खाद्य और ऊर्जा संबंधी चुनौतियां सामने आ रही हैं। इसी बीच, भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में रूस-यूक्रेन युद्द के चलते उभरती खाद्य और ऊर्जा संबंधी समस्याओं पर प्रकाश डाला है।

आसमान छू रही तेल की कीमतें
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, 'दोनों देशों का युद्ध व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभावों के साथ एक अस्थिर प्रभाव डाल रहा है।' उन्होंने कहा कि तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं और खाद्यान्न और उर्वरकों की कमी है। इसका वैश्विक दक्षिण और विकासशील देशों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
तिरुमूर्ति ने आगे कहा, 'युद्ध से उत्पन्न खाद्य सुरक्षा चुनौतियों के लिए हमें सभी बाधाओं से परे जाकर जवाब देना होगा। ऊर्जा सुरक्षा सभी के लिए एक गंभीर चिंता है और सभी के प्रयासों के जरिए इसे देखने की जरूरत है।' तिरुमूर्ति ने युद्ध को खत्म करने और बातचीत और कूटनीति के मार्ग को एकमात्र रास्ता अपनाने के लिए भारत के लगातार आह्वान को दोहराया।
उन्होंने कहा कि युद्ध के कारण कई लोगों की जान गई है जबकि अनगिनत लोगों पर इसका असर पड़ा है। खासकर लाखों महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग बेघर हो गए हैं।ये लोग पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए हैं। भारत ने बुका में नागरिकों की हत्या की कड़ी निंदा की है और स्वतंत्र जांच के आह्वान का समर्थन किया है।
तिरुमूर्ति ने ये भी कहा, 'यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रयासों की हम सराहना करते हैं। हम तत्काल प्रभाव से खाद्य निर्यात प्रतिबंधों से मानवीय सहायता के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) द्वारा भोजन की खरीद को छूट देने की उनकी सिफारिश का स्वागत करते हैं।'
अफगानिस्तान को भेजी गेहूं की गुणवत्ता पर डब्ल्यूएफपी ने संतुष्टि जताई
भारत द्वारा अफगानिस्तान को उच्च गुणवत्ता वाली गेहूं भेजे जाने के बाद डब्ल्यूएफपी का प्रतिनिधिमंडल भारत पहुंचा। यह प्रतिनिधिमंडल भारत में गेहूं के भंडारण व रखरखाव की स्थिति का जायजा लेगा, ताकि ऐसी ही व्यवस्था अन्य देशों में भी बनाई जा सके। दरअसल, अफगानिस्तान में पैदा हुए अन्न संकट के मद्देनजर भारत पचास हजार मीट्रिक टन गेहूं और जीवन रक्षक दवाएं भेज रहा है। इसके तहत दस हजार मीट्रिक टन गेहूं अफगानिस्तान भेजी जा चुकी है।
अफगानिस्तान भेजी जाने वाली गेहूं की विश्व खाद्य कार्यक्रम की टीम ने बुधवार को जांच की। टीम ने गुणवत्ता को अच्छा पाया और उस पर संतुष्टि जताई। टीम ने अमृतसर की अनाज मंडियों व गोदामों का भी निरीक्षण किया। साथ ही यह भी जाना कि खेतों से गेहूं किस तरह मंडियों में पहुंचाई जाती है। इनकी खरीद की व्यवस्था कैसी है और भंडारण का क्या प्रबंध है।
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