भारत ने पहली बार सीधे तालिबान शासन की वैधता पर उठाया सवाल, इन 4 विषयों पर फोकस करने को कहा

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन पर नजर रखने और सूचनाओं को साझा करने की प्रवृत्ति बढ़ाने के लिए एससीओ का तंत्र सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।

Update: 2021-09-18 02:25 GMT

भारत ने पहली बार सीधे तौर पर तालिबान शासन की वैधता पर सवाल उठाया है। शुक्रवार को वीडियो लिंक द्वारा अफगानिस्तान मुद्दे पर 21वें शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (सीएसटीओ) के सदस्य देशों के नेताओं के संयुक्त शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान में सत्ता-परिवर्तन समावेशी नहीं है और बिना समझौते के हुआ है। इससे नई व्यवस्था की स्वीकार्यता पर सवाल उठते हैं। उन्होंने कहा कि इससे उग्रवादी समूहों को हिंसा के माध्यम से सत्ता पाने का प्रोत्साहन मिल सकता है।

संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका का समर्थन
प्रधानमंत्री ने कहा, महिलाओं तथा अल्पसंख्यकों सहित अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, यह आवश्यक है कि नई व्यवस्था की मान्यता पर फैसला वैश्विक समुदाय सोच-समझ कर और सामूहिक तरह से ले। इस मुद्दे पर भारत संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका का समर्थन करता है। प्रधानमंत्री ने कहा, अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम का सबसे अधिक प्रभाव हम जैसे पड़ोसी देशों पर होगा। इसलिए, इस मुद्दे पर क्षेत्रीय फोकस और क्षेत्रीय सहयोग बहुत ही आवश्यक है।
चार विषयों पर ध्यान देने की जरूरत
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में हमें चार विषयों पर ध्यान देना होगा। पहला विषय अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन व्यवस्था के समावेशी न होने और बिना समझौते के सत्ता में बदलाव का है। दूसरा विषय है कि अगर अफगानिस्तान में अस्थिरता और कट्टरवाद बना रहेगा, तो इससे पूरे विश्व में आतंकवादी और चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा मिलेगा। अन्य उग्रवादी समूहों को हिंसा के माध्यम से सत्ता पाने का प्रोत्साहन भी मिल सकता है। पीएम मोदी ने कहा, 'हम सभी देश पहले भी आतंकवाद से पीड़ित रहे हैं। इसलिए हमें मिल कर सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान की धरती का उपयोग किसी भी देश में आतंकवाद फैलाने के लिए न हो।' उन्होंने कहा कि एससीओ के सदस्य देशों को इस विषय पर सख्त और साझा मानक विकसित करने चाहिए। आगे चल कर ये मानक वैश्विक आतंकरोधी सहयोग के लिए भी एक टेम्पलेट बन सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा ये मानक आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस (शून्य सहिष्णुता) के सिद्धांत पर आधारित होने चाहिए। इनमें सीमा पार आतंकवाद और आतंकी फंडिंग जैसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए एक कोड ऑफ कंडक्ट होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, इनके लागू करने की प्रणाली भी होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा, अफगानिस्तान के घटनाक्रम से जुड़ा तीसरा विषय यह है कि इससे ड्रग्स, अवैध हथियारों और अवैध मानव व्यापार का अनियंत्रित प्रवाह बढ़ सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा, बड़ी मात्रा में आधुनिक हथियार अफगानिस्तान में रह गए हैं। इनके कारण पूरे क्षेत्र में अस्थिरता का खतरा बना रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन पर नजर रखने और सूचनाओं को साझा करने की प्रवृत्ति बढ़ाने के लिए एससीओ का तंत्र सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।


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