भारत ने गेहूं निर्यात पर लगाया था प्रतिबंध, अब दक्षिण कोरिया ने कही यह बात
नई दिल्ली: रूस, यूक्रेन युद्ध से उपजे गेहूं संकट के बीच इसके निर्यात पर प्रतिबंध के भारत के फैसले का दक्षिण कोरिया ने समर्थन किया है.
भारत को ऐसे समय में कोरिया का समर्थन मिला है, जब कई बड़े देश और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भारत पर बैन हटाने का दबाव डाल रही हैं.
भारत में दक्षिण कोरिया के राजदूत चेंग जे-बोक ने भारत के फैसले का समर्थन करते हुए उम्मीद जताई है कि दोनों एशियाई देश 2030 से पहले पचास अरब डॉलर के कारोबार के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे.
दरअसल चेंग से पूछा गया था कि भारत के गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध का कोरिया पर क्या असर होगा?
इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, सैद्धांतिक रूप से मैं भारत सरकार के इस फैसले का सम्मान करता हूं क्योंकि यह भारत के घरेलू बाजार की स्थिरता से जुड़ा हुआ है.
उन्होंने कहा, भारत सिर्फ राजनीति के संदर्भ में ही वैश्विक शक्ति नहीं है बल्कि व्यापार और अर्थव्यवस्था के मामले में भी ग्लोबल पावर है. भारत के फैसले अंतरराष्ट्रीय बाजार मूल्य को प्रभावित करते हैं.
चेंग ने कहा, हम गेहूं, चीनी और अन्य सामानों के मामले में बाजार पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं.
राजदूत चेंग ने भारत में पांच दिवसीय कोरियाई व्यापार मेले का उद्घाटन किया.
उन्होंने इस मौके पर कहा कि दक्षिण कोरिया की नई सरकार और भारत में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के समर्थन से दोनों देश व्यापार के इस लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं.
दक्षिण कोरिया के व्यापार मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, भारत और कोरिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021 में 23.7 अरब डॉलर रहा जबकि 2018 में यह 21.5 अरब डॉलर था.
दुनियाभर में गेहूं संकट इस कदर फैला हुआ है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जिवा ने भारत से अपील की थी कि भारत जितनी जल्दी संभव हो सके, गेहूं के निर्यात पर लगी पाबंदी पर दोबारा विचार करे.
चीन के बाद गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक देश भारत ने 13 मई को तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
भारत ने यह फैसला लू के थपेड़ों के बीच गेहूं का उत्पादन प्रभावित होने और कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की वजह से देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया था.
भारत में लू की वजह से मार्च में गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचा था. इस बीच जी-7 देशों के कृषि मंत्रियों ने भी गेहूं निर्यात पर पाबंदी लगाने के भारत के कदम की आलोचना की थी.