नई दिल्ली: यूक्रेन पर रूसी हमले के बीच उर्वरक की बढ़ती कीमतों ने भारत जैसे कृषि प्रधान देश की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. रूस विश्व में उर्वरकों का बड़ा उत्पादक है और प्रतिबंधों के कारण अब वो वैश्विक बाजार में उर्वरक नहीं भेज पा रहा है जिससे उर्वरक की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. इस बीच भारत के लिए राहत की बड़ी खबर ये है कि भारत ने रूस से उर्वरकों की एक बड़ी आपूर्ति को अंतिम मंजूरी दे दी है. अधिकारियों के मुताबिक, सालों तक चलने वाले इस आयात सौदे की बातचीत को अंतिम रूप दे दिया गया है.
यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस पर प्रतिबंध लगे हैं जिस कारण वो डॉलर में व्यापार नहीं कर पा रहा है. रूस से व्यापार को लेकर अमेरिका ने कई बार भारत को भी आगाह करने की कोशिश की है. हालांकि, भारत ने साफ कर दिया है कि वो अपने हितों के अनुरूप ही विदेश नीति तय करेगा. पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की वजह से भारत-रूस व्यापार के लिए वस्तु-विनिमय प्रणाली अपना रहे हैं. इसके तहत भारत रूस से उर्वरक खरीदेगा. बदले में रूस को उसी मूल्य का चाय, उद्योगों के लिए कच्चा माल और ऑटो पार्ट्स दिया जाएगा.
भारत की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है. भारत की 2.7 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था में कृषि का हिस्सा 15% है. रूस-यूक्रेन युद्ध से उर्वरकों के आयात पर असर पड़ा है जिससे किसानों पर बोझ बढ़ गया है.
भारत ने रूस से उर्वरक खरीद के लिए सौदा फरवरी में ही शुरू किया था. उर्वरकों की कीमतों को कम करने के लिए भारत सरकार का रूस की सरकार के साथ ये लंबे समय का सौदा है जो अब महीनों बाद अपने अंतिम चरण में है.
भारत-रूस के बीच इस व्यापार सौदे को लेकर ऑस्ट्रियाई विदेश नीति थिंक टैंक AIES की निदेशक वेलिना त्चाकारोवा ने ट्वीट किया, 'भारत 10 लाख टन रूसी डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) और पोटाश का आयात करता है. रूस DAP और पोटाश का दूसरा सबसे बड़ा खरीददार है. भारत रूस से हर साल लगभग 8 लाख टन नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम खरीदता है.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मामले से परिचित एक अधिकारी ने कहा कि रूस से उर्वरक आयात भारत के वैध राष्ट्रीय हितों में शामिल है जिसे पूरा करने के लिए भारत ने सालों बाद उर्वरकों के लिए इस तरह का बहुवर्षीय समझौता किया है.
एक दूसरे अधिकारी ने जानकारी दी कि रूसी उर्वरक के बदले में भारत रूस को कृषि उत्पाद, चिकित्सा उपकरण, ऑटो पार्ट्स और अन्य दूसरी वस्तुओं का आयात करेगा.
यूक्रेन युद्ध के कारण उर्वरकों की वैश्विक कीमतों में उछाल के बीच, मोदी सरकार ने 21 मई को कहा कि सरकार किसानों को बढ़ती कीमतों से बचाने के लिए 1.10 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त उर्वरक सब्सिडी प्रदान करेगी. इससे चालू-वित्त वित्त वर्ष (2022-23) में सरकार का कुल उर्वरक सब्सिडी बिल दोगुना होकर रिकॉर्ड 2.15 लाख करोड़ रुपये हो गया है.
इसे लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट किया, 'विश्व स्तर पर उर्वरक की बढ़ती कीमतों के बावजूद, हमने अपने किसानों को इस तरह की कीमतों में बढ़ोतरी से बचाया है. बजट में 1.05 लाख करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी के अलावा, हमारे किसानों को आगे बढ़ाने के लिए 1.10 लाख करोड़ रुपये की
दूसरे अधिकारी ने जानकारी दी कि नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड, मद्रास फर्टिलाइजर्स लिमिटेड, राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड, इंडिया पोटाश लिमिटेड और फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स त्रावणकोर से रूसी कंपनियों Phosagro और Uralkali के साथ डीएपी, पोटाश और बाकी उर्वरकों के लिए तीन साल के सौदे पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है.
भारत 2021 से ही उर्वरकों की घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. मार्च में जॉर्डन का एक प्रतिनिधिमंडल भारत आया था जिसमें जॉर्डन के निवेश मंत्री यासर अब्देल मोनिम अमर भी शामिल थे. इस दौरान केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने प्रतिनिधिमंडल से फॉस्फेटिक और पोटेशियम उर्वरकों और कच्चे माल की आपूर्ति के लिए बातचीत की थी.
मनसुख मंडाविया ने उर्वरक और कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित करने के लिए 13 से 15 मई तक जॉर्डन का दौरा भी किया था. इस दौरान भारत ने चालू वर्ष के लिए 30 लाख टन रॉक फॉस्फेट, 2.5 लाख टन डीएपी, 1 लाख टन फॉस्फोरिक एसिड की आपूर्ति के लिए जॉर्डन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था.