भारत ने म्यांमार हिंसा पर तोड़ी चुप्पी, अपनी सीमा तक पहुंचने की जताई चिंता
जो कोर्ट मार्शल के जरिये सजा सुनाए जाने की इजाजत देता है।
भारत ने शुक्रवार को म्यांमार में जनता की आवाज दबाने के लिए हिंसा के प्रयोग की निंदा की। साथ ही चिंता जताते हुए कहा कि वह म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता के गंभीर प्रभावों और उनके सीमा पार अपने यहां तक पहुंचने की क्षमता से वाकिफ है। भारत ने विश्व से इस मुद्दे पर एक व्यापक मेल की अपील की और चेतावनी भी दी कि संपर्क की कमी महज एक 'खालीपन' ही पैदा करेगी, जो प्रतिकूल साबित होगा।
म्यांमार में फरवरी में सेना द्वारा निर्वाचित सरकार का तख्तापलट करने के बाद से अस्थिरता का माहौल है। जनता की तरफ से किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों को सेना हिंसा के जरिए दबा रही है, जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है।
भारत अपने पड़ोसी देश के इस माहौल की खुलकर खिलाफत करने से बचता रहा है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी उप प्रतिनिधि के. नागराज नायडू ने म्यांमार पर आयोजित सुरक्षा परिषद एरिया फॉर्मूला मीटिंग में कहा कि भारत म्यांमार में हिंसा के उपयोग की निंदा करता है और जान गंवाने वालों के लिए शोकाकुल है।
यह आवश्यक है कि अधिकतम संयम का पालन किया जाए। लेकिन साथ ही मानवीय सिद्धांतों को बनाए रखना भी उतना ही अहम है। नायडू ने जोर दिया कि हालात का शांतिपूर्ण हल सुनिश्चित करने में भारत की सबसे ज्यादा भागीदारी है। उन्होंने म्यांमार के साथ भारत की लंबी जमीनी व समुद्री सीमाओं और वहां की जनता के साथ करीबी दोस्ती के अपने इतिहास का हवाला भी दिया।
नायडू ने कहा, भारत इस बात से सहमत है कि म्यांमार में लोकतंत्र की राह में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए। कानूनी शासन बहाल होना चाहिए और लोकतांत्रिक परिवर्तन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाना चाहिए, जिसका भारत ने हमेशा समर्थन किया है। उन्होंने इसके लिए पहले और सबसे अहम तात्कालिक कदम के तौर पर म्यांमार में गिरफ्तार किए गए नेताओं की रिहाई की तरफ इशारा किया।
बता दें कि म्यांमार और भारत आपस में 1600 किलोमीटर लंबी सीमाएं साझा करते हैं। बंगाल की खाड़ी में समुद्री सीमा से लेकर अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम में दोनों देशों की साझा अंतराष्ट्रीय सीमाएं हैं।
म्यांमार में हत्या के आरोप में 19 को मृत्युदंड
म्यांमार में सेना ने अपने एक कैप्टन के सहयोगी की हत्या के आरोप में 19 लोगों को मृत्युदंड की सजा सुनाई है। सेना के मालिकाना हक वाले म्यावाडी टीवी स्टेशन ने कहा, 19 में से 19 लोगो को उनकी अनुपस्थिति में सजा सुनाई गई है।
म्यांमार में एक फरवरी को हुए तख्तापलट के बाद सजा सुनाए जाने का यह पहला मामला है। टीवी ने कहा, यह हत्याकांड देश के सबसे बड़े शहर के उत्तरी ओकालपा जिले में अंजाम दिया गया था। जिले में मार्शल लॉ लागू है, जो कोर्ट मार्शल के जरिये सजा सुनाए जाने की इजाजत देता है।