1774 में जेम्‍स कुक का किया हुआ दावा रिसर्च में साबित हुआ गलत, प्रशांत महासागर में होने की कही थी बात

लेकिन जब शोधकर्ताओं ने असलियत का खुलासा किया तो सभी हैरान रह गए

Update: 2022-01-31 07:13 GMT

रिश्ता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया सालों तक जिस आइलैंड (Island) को हकीकत समझती रही, गूगल मैप भी जिसे दिखाता रहा वो वास्तव में है ही नहीं. सबसे पहले 1774 में जेम्‍स कुक (James Cook) नामक शख्स ने इस आइलैंड को ढूंढने का दावा किया था. बाद में इसे 'सैंडी आइलैंड' के नाम से जाना जाने लगा. जेम्स का दावा था कि ये आइलैंड प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) के बीच में है. आइलैंड की रहस्यमय स्थिति को लेकर इसे प्रेत द्वीप भी करार दिया जाता था, लेकिन जब शोधकर्ताओं ने असलियत का खुलासा किया तो सभी हैरान रह गए.

British Explorer ने किया था खोजने का दावा
'डेली मेल' की खबर के अनुसार, गूगल मैप्स (Google Maps) पर भी 'सैंडी आइलैंड' (Sandy Island) दिखाई देता था, लेकिन बाद में जब रिसर्चर्स ने खुलासा किया कि ऐसा कोई आइलैंड नहीं है, तो गूगल ने उसे हटा दिया. ऑस्‍ट्रेलिया के तट पर स्थित इस आइसलैंड के बारे मे दावा किया गया था इसे सबसे पहले साल 1774 में ब्रिटिश खोजकर्ता जेम्‍स कुक (British Explorer Captain James Cook) ने खोजा था.
UK-Germany के मानचित्रों में भी था जिक्र
जेम्‍स कुक को लगा कि ये आइसलैंड करीब 22 किलोमीटर लंबा और 5 मिलोमीटर चौड़ा है. 1876 में वेलोसिटी नाम के शिप की ओर से भी ये दावा किया गया कि सैंडी आइलैंड मौजूद है. इतना ही नहीं, 19वीं सदी के बिट्रेन और जर्मनी के मानचित्रों में भी 'सैंडी आइलैंड' का जिक्र था. हालांकि, बाद में आइलैंड को लेकर कई लोगों ने संदेह प्रकट किया. फ्रेंच हाइड्रोग्राफिक सर्विस ने इस आइलैंड को अपने नौटिकल चार्ट (समुद्री मानचित्र) से साल 1979 से हटा दिया.
'कोई न कोई गलती हुई होगी'
ऑस्‍ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि ये आइलैंड था ही नहीं. इस दौरान, वैज्ञानिकों ने उस जगह समुद्र की गहराई भी नापने की कोशिश की तो पता चला कि गहराई 4,300 फीट से अधिक नहीं थी. यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी की चीफ जियोलॉजिस्‍ट मारिया सेटन के अनुसार, इस मामले में खोजकर्ता से कोई न कोई गलती हुई होगी. वहीं Sandy Island: An Obituary' नाम से प्रकाशित एक पेपर में भी कहा गया है कि सैंडी द्वीप नहीं था.


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