खुद को नंबर-1 साबित करने के लिए कई प्रपंच, इमरान सरकार रहेगी या जाएगी आज साफ होगी तस्वीर
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार बरकरार रहेगी या फिर जाएगी, ये तस्वीर शनिवार को साफ होगी. इमरान सरकार के यहां तक पहुंचने की वजह है पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट का फैसला. गुरुवार को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में 4 दिन चली सुनवाई के बाद पांच जजों की बेंच ने एकमत से फैसला दिया था कि नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने का स्पीकर का फैसला गैरकानूनी था, नेशनल असेंबली को भंग करना असंवैधानिक था. पीएम इमरान खान को ये अधिकार नहीं है कि वो राष्ट्रपति से संसद भंग करने को कहें. पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इमरान सरकार की विदाई अब तय मानी जा रही है.
अब इमरान खान के पास दो ही रास्ते बचे हैं. पहला ये कि वो फ्लोर टेस्ट का सामना करें और दूसरा रास्ता ये है कि वो इस्तीफा दे दें. दोनों ही रास्तों पर इमरान की कुर्सी जाना पक्का है, क्योंकि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के स्पीकर के फैसले को रद्द करते हुए इमरान सरकार को फ्लोर टेस्ट करवाने का आदेश दे दिया है और इसकी डेडलाइन 9 अप्रैल तय कर दी है.
यानी अपने सियासी पूर्वजों के पदचिन्हों पर चलते हुए इमरान खान को भी वक्त से पहले पीएम पद से विदा होना पड़ेगा. इससे पहले इमरान खान कह चुके हैं कि मैं अपनी कौम को आज कहता हूं कि आप इलेक्शन की तैयारी करें, आपने फैसला करना है, किसी बाहरी कूव्वत, किसी करप्ट ने फैसला नहीं करना कि इस मुल्क का मुस्तकबिल क्या होगा.
नेशनल असेंबली को भंग करके इमरान खान को लग रहा था कि उन्होंने छक्का मारकर मैच जीत लिया है, लेकिन पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रन आउट करार दे दिया. जैसे ही पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इमरान सरकार के फैसले को गैर-लोकतांत्रिक करार दिया और नेशनल असेंबली में फ्लोर टेस्ट का सामना करने का फरमान सुनाया. वैसे ही इमरान खान के पैरों तले से फ्लोर खिसक गया और विपक्षी दलों के नेताओं ने जश्न शुरू कर दिया.
वैसे इमरान के कॉन्फिडेंस की दाद देनी पड़ेगी, क्योंकि उनकी सरकार का गिरना 3 अप्रैल को भी तय था, जब वो फ्लोर टेस्ट से भाग खड़े हुए थे और इमरान सरकार का गिरना 9 अप्रैल को भी तय है, जब उन्हें ना चाहते हुए भी फ्लोर टेस्ट देना है. इमरान सरकार का पूरा गेम बिगड़ चुका है, वरना खुद को पाकिस्तान का हीरो नंबर 1 साबित करने के लिए उन्होंने कौन-कौन से प्रपंच नहीं किये.
PTI समर्थकों के सैलाब को इस्लामाबाद में इकट्ठा करके खुद को पाकिस्तान के मसीहा के तौर पर प्रोजेक्ट किया. विक्टिम कार्ड खेलने के चक्कर में अविश्वास प्रस्ताव के पीछे अमेरिका का हाथ बताकर पाकिस्तान की विदेश नीति का इंटरनेशनल लेवल पर मजाक उड़वाया. अपनी पब्लिसिटी के लिए प्रधानमंत्री दफ्तर को स्टूडियो बनाकर LIVE फोन लाइनें खोल दी और आवाम के सामने खूब दुखड़ा रोया.
पाकिस्तानी मीडिया में चर्चा है कि इमरान जाएंगे तो शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो जाएंगे, ये भी तय है, लेकिन ट्विस्ट तब आएगा जब पाकिस्तान के पूर्व पीएम और भगौड़े नवाज शरीफ पाकिस्तान लौटकर आएंगे और आखिर में शाहबाज शरीफ अपने बड़े भाई नवाज शरीफ के लिए पीएम की कुर्सी खाली करेंगे. यानी सत्ता की कुर्सी से इमरान की जमात उठेगी और पाकिस्तान को लूटने के लिए चोरों की दूसरी जमात बैठ जाएगी, ये हमारी नहीं पाकिस्तानी मीडिया की भविष्यवाणी है.
इमरान नये पाकिस्तान का नारा देकर सत्ता में आए थे. साढ़े तीन साल तक पाकिस्तानी आवाम को रियासत-ए-मदीना बनाने के सपने दिखाए, लेकिन अब जो नया पाकिस्तान होगा, उसमें इमरान खान का क्या मुकाम होगा, ये शनिवार को बाद ही तय होगा.
बता दें कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल सासदों की संख्या 342 है. यानी इमरान खान को फ्लोर टेस्ट पास करने के लिए 172 वोट हासिल करने होंगे. लेकिन मौजूदा वक्त में इमरान खान की सरकार को 142 सांसदों का ही समर्थन हासिल है, जबकि विपक्ष अपने साथ 199 सांसदों के होने का दावा कर रहा है.
8 मार्च को पाकिस्तान के विपक्षी गठबंधन ने इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया था. उस वक्त इमरान सरकार को 176 सांसदों का समर्थन हासिल था, लेकिन अब ठीक एक महीने बाद इमरान सरकार के पास सिर्फ 142 सांसदों का समर्थन है. यानी इमरान सरकार का विकेट गिरना तय है, लेकिन इसे पाकिस्तान की बदकिस्मती ही कहा जाएगा कि इमरान की जगह जो शख्स प्रधानमंत्री बनेगा, उसका नाम भले ही शाहबाज शरीफ हो, लेकिन वो भी कोई बहुत शरीफ नेता नहीं हैं.
शहबाज शरीफ फिलहाल पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता हैं. वो पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के मौजूदा अध्यक्ष हैं और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई हैं. शहबाज शरीफ 1998-99 और फिर 2008 से 2018 तक पाकिस्तानी के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री थे.
शहबाज शरीफ अपने कारनामों और भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से भी पाकिस्तान में खूब पहचाने जाते हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री रहते हुए शहबाज शरीफ के खिलाफ वर्ष 1999 में पुलिस को पांच लोगों की फेक एनकाउंटर में हत्या करने का आदेश देने का केस दर्ज हुआ था, जिसके बाद वो परिवार समेत सउदी अरब भाग गये थे. पिछले साल सितंबर शहबाज शरीफ को सात अरब रुपये के मनी लान्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इस केस में वो लाहौर हाई कोर्ट से जमानत पर है और अब यही शहबाज शरीफ पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बनने वाले हैं.