इमरान खान को सुप्रीम कोर्ट से झटका, कहा- डिप्टी स्पीकर का फैसला गैर संवैधानिक

Update: 2022-04-07 15:44 GMT

इस्लामाबाद: राजनीतिक संकट के बीच पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि डिप्टी स्पीकर का फैसला असंवैधानिक था. अगले 9 अप्रैल को नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी. यानी इमरान खान को अब अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ेगा.

फैसले से पहले इमरान खान ने कहा- जो भी फैसला होगा, वो मंजूर
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी कानूनी टीम के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की और कहा कि कोर्ट का फैसला जो भी होगा, वो मुझे और मेरी पार्टी को स्वीकार होगा. सूत्रों ने बताया कि कानूनी टीम ने नेशनल असेंबली (एनए) के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बारे में जानकारी दी, जिसमें उन्होंने 3 अप्रैल को पीएम इमरान खान के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.
पीएम इमरान खान ने कहा कि पीटीआई नए सिरे से चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है. साथ ही उन्होंने कहा कि वह देश में विदेशी साजिश को कभी भी सफल नहीं होने देंगे. इससे पहले पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पीएम खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के नेशनल असेंबली स्पीकर के फैसले से संबंधित एक मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
फैसले से पहले विपक्ष ने बुलाई थी बैठक
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले संयुक्त विपक्ष ने एक बैठक बुलाई. सूत्रों ने बताया कि बैठक शाम साढ़े सात बजे पीएमएल-एन अध्यक्ष के आवास पर हुई. बैठक में बिलावल भुट्टो, आसिफ जरदारी और मौलाना फजलुर रहमान को शामिल होने का निमंत्रण भेजा गया था. बताया जा रहा है कि पीएमएल-एन अध्यक्ष के आवास पर ही विपक्षी नेता सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक साथ सुनेंगे. फैसले के बाद विपक्ष संयुक्त रणनीति बनाएगा.
उधर, पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति के पत्र का जवाब दिया है. चुनाव आयोग ने कहा है कि अक्टूबर 2022 में आयोग चुनाव कराने के लिए तैयार है. संविधान और कानून के अनुसार परिसीमन के लिए 4 महीने और लगेंगे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आम चुनाव पर महत्वपूर्ण परामर्श के लिए राष्ट्रपति के साथ बैठक बुलाएं.
यह सुनवाई डिप्टी स्पीकर के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर हो रही थी, जिसमें इमरान सरकार के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था. इसके बाद ही पाकिस्तान की संसद को भी भंग कर दिया गया था और 90 दिनों के अंदर चुनाव कराने की मांग हुई थी.
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