नेपाल के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव किया गया दर्ज, आचार संहिता के उल्लंघन सहित कई आरोप लगे
उनके पास कुल 133 वोट हैं. 271 में से प्रस्तार को पारित करने के लिए 181 मतों की आवश्यकता है.
नेपाल (Nepal) के मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर जेबी राणा (Chief Justice Cholendra Shumsher JB Rana) के खिलाफ संसद सचिवालय में महाभियोग प्रस्ताव दर्ज किया गया है. उनपर कई गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद ये कदम उठाया गया. नेपाल संसद (Nepal Parliament) के अध्यक्ष के मीडिया सलाहकार ने कहा, 'सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस, माओवादी सेंटर और जनता समाजवादी पार्टी के सांसदों ने मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर जेबी राणा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव दर्ज किया है.'
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा के खिलाफ कई आरोप लगने के बाद महाभियोग प्रस्ताव दायर किया गया है. एक विधायक ने जानकारी देते हुए कहा कि आज नेपाली कांग्रेस और उसके गठबंधन सहयोगियों के सांसदों ने संसद सचिवालय में सीजे राणा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव दर्ज किया है. प्रस्ताव में करीब 100 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं. सीजे के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को लेकर काफी मांग की जा रही थी.
मुख्य न्यायाधीश पर कौन से आरोप लगे?
मुख्य न्यायाधीश राणा पर आचार संहिता का उल्लंघन करने, उच्चतम न्यायालय में न्यायिक माहौल बनाए रखने में विफल रहने और नैतिक आधार नहीं अपनाए जाने सहित तमाम आरोप लगे हैं. जिसके चलते उनके खिलाफ ये कदम उठाया गया. कानून मंत्री दिलेंद्र प्रसाद बडू के नेतृत्व में सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक मुख्य न्यायाधीश राणा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लेकर रविवार सुबह संसद सचिवालय पहुंचे थे. नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के एक विधायक देव गुरुंग ने पुष्टि करते हुए कहा, 'हमने मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव दर्ज किया है.'
क्या कहता है नेपाल का संविधान?
नेपाल के संविधान (Constitution of Nepal) के अनुच्छेद 101 (2) में कहा गया है कि संसद के एक चौथाई सदस्य संवैधानिक पद पर आसीन किसी भी व्यक्ति के खिलाफ इस आधार पर महाभियोग प्रस्ताव दर्ज कर सकते हैं कि वह अपने कर्तव्य को प्रभावी ढंग से नहीं निभा रहा है या संविधान के खिलाफ काम कर रहा है या गंभीरता से उसकी आचार संहिता का उल्लंघन कर रहा है. एक चौथाई सांसद महाभियोग प्रस्ताव को पंजीकृत कर सकते हैं, लेकिन इसे समर्थन देने के लिए संसद के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है. प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए मुख्य विपक्षी सीपीएन-यूएमएल का समर्थन जरूरी है, क्योंकि जिन दलों ने प्रस्ताव दायर किया है उनके पास कुल 133 वोट हैं. 271 में से प्रस्तार को पारित करने के लिए 181 मतों की आवश्यकता है.