भारत में अवैध हैकर बना रहे हैं वीआईपी लोगों और नागरिकों को निशाना, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Update: 2022-11-07 01:46 GMT

अवैध हैकिंग की सुविधा उपलब्ध कराने वाली कंपनियां पूरे भारत में अपने काम को अंजाम देने के साथ-साथ वे वीआईपी लोगों और देशों के आम लोगों के ई-मेल और फोन में सेंधमारी कर रही हैं। रविवार को सामने आई एक जांच में यह दावा किया गया। खबर के मुताबिक इसको अंजाम देने के लिए दुनियाभर के निजी जासूसों के द्वारा इसके लिए भुगतान किया जा रहा है। मालूम हो कि इन हैकिंग कंपनियं को हैक फोर फायर के नाम से जाना जा रहा है।

हैकरों का पर्दाफाश के लिए किया गया स्टिंग आपरेशन

मालूम हो कि अंग्रेजी अखबार द संडे टाइम्स और ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म ने भारतीय हैकरों का पर्दाफाश करने के लिए स्टिंग आपरेशन किया, जिसमें पता चला है कि कई देशों, ब्रिटेन के वकीलों और अपने अमीर ग्राहकों के लिए काम करने वाले निजी जासूसों के वास्ते हैकर, पीड़ितों के निजी ईमेल खातों और संदेशों को हैक करने के लिए अपनी सेवाओं की पेशकश कर रहे हैं।

हरियाणा से हो रहा है संचालन

खबर में दावा किया गया कि हैकिंग में लगे व्हाइट इंट गिरोह का संचालन हरियाणा में गुरुग्राम के एक चार मंजिला अपार्टमेंट से किया जाता है। इसमें यह भी दावा किया गया कि इसका मुख्य कर्ताधर्ता 31 साल के युवक है जो एक ब्रिटिश लेखा कंपनी के भारत स्थित कार्यालय में काम करता है।खबरों के मुताबिक सात साल से वह कंप्यूटर हैकर का एक नेटवर्क चला रहा है, जिन्हें ब्रिटेन के निजी जासूसों ने अपने लक्ष्यों के ईमेल इनबाक्स में सेंधमारी के लिए काम पर रखा है।

हैकर कंप्यूटर के जरिए सुनते हैं बातचीत

मालूम हो कि हैकिंग सॉफ्टवेयर के जरिए हैकर कंप्यूटर के कैमरों और माइक्रोफोन में सेंधमारी कर अपने लक्ष्य के कैमरे की गतिविधियों को देखने के साथ ही बातचीत भी सुन पाते हैं। इस काम के लिए उन्हें 3,000 से 20,000 डॉलर तक का भुगतान किया जाता है।


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