रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध हुआ तो पूरी दुनिया को चुकानी होगी इसकी कीमत
रूस और यूक्रेन के बीच लगातार युद्ध छिड़ने की आशंका बढ़ती जा रही है। हालांकि दोनों ही देश इसकी कीमत के बारे में भी बखूबी वाकिफ हैं। यदि युद्ध होता है तो इसका खामियाजा पूरी दुनिया को ही उठाना पड़ सकता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूक्रेन और रूस दोनों ही युद्ध के मुहाने पर खड़े हैं। एक तरफ जहां यूक्रेन को लेकर अमेरिका और पश्चिमी देश एकजुट दिखाई दे रहे हैं वहीं रूस इसमें काफी अकेला पड़ता दिखाई दे रहा है। रूस का साथ देने वालों को अमेरिका ने सख्त लहजे में चेतावनी भी दे दी है। वहीं युद्ध के खतरे को देखते हुए ब्रिटेन ने यूक्रेन की सीमा पर अधिक नाटो सैनिकों को तैनात किए जाने की वकालत की है। यूक्रेन और रूस के बिगड़ते हालातों पर जानकार मानते हैं कि यूक्रेन युद्ध से होने वाले नुकसान को भी जानता है। इसलिए ही वो कहीं न कहीं इस पर आगे नहीं बढ़ना चाहता है।
नाटो सैनिकों की तैनाती चाहता है ब्रिटेन
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन का कहना है कि वो विवाद और खतरे को देखते हुए रूस से लगती यूक्रेन की सीमा पर अधिक नाटो सैनिकों की तैनाती चाहते हैं। उनके मुताबिक ये यूरोपीय देशों की सुरक्षा के लिए भी काफी जरूरी हो गया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वो रूस को ये संदेश देना चाहते हैं कि पश्चिमी देश उसकी गतिविधियों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करने वाले हैं।
एक्सपर्ट व्यू
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्थित सेंटर फार रशियन, सेंट्रल एशियन स्टडीज Centre for Russian, Central Asian Studies (CR&CAS) की प्रोफेसर अनुराधा शिनोए का मानना है कि यदि इन दोनों देशों में युद्ध छिड़ा तो इसकी कीमत समूचे क्षेत्र को उठानी पड़ सकती है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि लगभग पूरा यूरोप ही रूस से आने वाली गैस और तेल पर निर्भर करता है। जर्मनी उसका सबसे बड़ा खरीददार होने के साथ-साथ यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी है। यूरोप में तेल और गैस सप्लाई के लिए रूस ने नई पाइपलाइन भी बिछाई है। हालांकि अमेरिका नहीं चाहता है कि जर्मनी इसके जरिए तेल और गैस की सप्लाई ले। लेकिन इन दोनों ही अवस्थाओं में तेल और गैस की किल्लत समूचे यूरोप में हो सकती है। युद्ध की दशा में तो तेल और गैस की कीमतों में भी जबरदस्त इजाफा देखने को मिल सकता है।
दुनिया को चुकानी होगी कीमत
प्रोफेसर शिनोए का कहना है कि अगर युद्ध छिड़ता है तो इसकी बड़ी कीमत भले ही यूरोप को चुकानी पड़े लेकिन इसका असर कहीं न कहीं दुनिया के दूसरे मुल्कों पर भी जरूर पड़ेगा। साथ ही इससे तेल, गेहूं समेत अन्य जरूरी चीजों, धातुओं की कीमतों में भी उछाल आने की आशंका है। बता दें कि रूस दुनिया में प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा और तेल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। वह अकेला ही विश्व की जरूरत का करीब 10 फीसद तांबा और अल्युमीनियम सप्लाई करता है। रूस से ही विश्व को दुर्लभ धातु पैलेडियम की करीब 43 फीसद तक सप्लाई होती है। इसके अलावा रूस और यूक्रेन मिलकर विश्व के 29 फीसद गेहूं का निर्यात करते हैं।
रूस नहीं चाहता है युद्ध
बता दें कि पश्चिमी देश और अमेरिका यूक्रेन को नाटो सदस्य देशों में शामिल करना चाहते हैं, जबकि रूस नहीं चाहता है कि ऐसा हो। वहीं दोनों देशों के बीच क्रीमिया सबसे बड़ा विवाद का बिंदु है। इसको रूस ने यूक्रेन से अलग कर दिया है, जिसकी वजह से यूक्रेन काफी खफा है और इस क्षेत्र को वापस चाहता है। अमेरिका लगातार कह रहा है कि रूस ने यूक्रेन की सीमा पर हजारों की तादाद में अपने जवानों को भारी हथियारों के साथ सीमा पर तैनात किया हुआ है। वहीं रूस कह रहा है कि अमेरिका दुनिया में उसको लेकर गलत जानकारी फैला रहा है। उसकी मंशा यूक्रेन पर हमले की नहीं है।