अगर Aliens इंसानों से मिलने आए, तो फिर क्या करेंगे वैज्ञानिक?
एलियंस, ये शब्द सुनते ही हमारे जेहन में एक ऐसी चीज की तस्वीर आती है, जिसका रंग हरा है
एलियंस, ये शब्द सुनते ही हमारे जेहन में एक ऐसी चीज की तस्वीर आती है, जिसका रंग हरा है और उसकी शरीर की बनावट इंसानों से बिल्कुल अलग है. NASA समेत दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां एलियन लाइफ ढूंढ़ने के लिए रिसर्च कर रही हैं. लेकिन ऐसे में एक सवाल उठता है कि अगर एलियंस धरती पर आते हैं तो सबसे पहले क्या होगा? इंसान किसी दूसरे ग्रह से आए जीव को देखकर कैसे रिएक्ट करेगा और सरकार इस दौरान क्या करेगी? आइए इन सवालों का जवाब ढूंढ़ा जाए.
30 अक्टूबर, 1938 को अमेरिका में एच जी वेल्स की नोवल 'द वॉर ऑफ द वर्ल्ड' का एक नाटकीय संस्करण सीबीएस रेडियो पर प्रसारित किया गया. इस स्टोरी में बताया गया कि मंगल पर रहने वाले लोग किस तरह से हमला करेंगे. इस रेडियो शो को नतीजा ये हुआ कि बहुत से लोगों ने इसे असली मान लिया. इससे देशभर में घबराहट पैदा हो गई. 'सर्च फॉर एक्ट्राटेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस' (SETI) के रिसर्चर डंकन फोर्गन ने कहा कि 'द वॉर ऑफ द वर्ल्ड' का ब्रॉडकास्ट दुनियाभर में एलियंस के सामने आने पर क्या प्रोटोकॉल होना चाहिए, उसे अपडेट करने के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है.
कैसे करेंगे एलियंस इंसानों से संपर्क?
डंकन फोर्गन ने कहा कि यदि रिसर्चर्स को आज सिग्नल मिलता है तो उनसे सबसे पहले इस पर काम करना होगा कि इसकी जानकारी लोगों तक कैसे पहुंचाई जाए. सोशल मीडिया के जरिए लोगों को पल-पल की अपडेट दी जा सकती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि एलियंस से पहला संपर्क पृथ्वी पर भेजे गए सिग्नल के जरिए होना चाहिए. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर एलियंस की तरफ से कोई सिग्नल आता है तो सबसे पहले हमें इसे कई सारी ऑब्जर्वेटरी से वेरीफाई करवाना होगा. ऐसा करने में थोड़ा समय तो लगेगा, लेकिन इस दौरान इस मामले को देखने वाले लोगों को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दुनिया को इसकी जानकारी देनी होगी.
एलियंस मिलने पर ये करेंगे वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों ने बताया कि ऐसा इसलिए जरूरी है, ताकि लोगों के बीच घबराहट पैदा नहीं हो. हालांकि, उनका ये भी कहना है कि ये तभी काम करेगा, जब एलियंस के संपर्क वाले प्रोजेक्ट से जुड़े सभी लोग इसे राज ही रखें. अगर कोई एलियंस की न्यूज को लीक कर देता तो इससे दुनियाभर में खलबली मच जाएगी. ऐसे में हालात से निपटना मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में वैज्ञानिकों एलियंस से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने के प्रोटोकॉल पर बने रहना होगा. एलियंस के संपर्क में आने को लेकर बनाए गए प्रोटोकॉल में कहा गया है कि सबसे पहले सिग्नल को वेरीफाई करें, सबूत इकट्ठा करें और फिर जानकारी सार्वजिक करें.