IAEA के निरीक्षण पर लगी रोक, परमाणु प्रतिष्ठानों की अब नहीं हो सकेगी जांच

ईरान ने आधिकारिक रूप से अपने परमाणु प्रतिष्ठानों के अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण पर रोक लगाना शुरू कर दिया है

Update: 2021-02-23 12:09 GMT

ईरान (Iran) ने आधिकारिक रूप से अपने परमाणु प्रतिष्ठानों (Nuclear facilities) के अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण पर रोक लगाना शुरू कर दिया है. सरकारी टीवी ने मंगलवार को इस बारे में खबर प्रसारित की. ईरान के इस कदम का उद्देश्य यूरोपीय देशों (European countries) और अमेरिका (बाइडन प्रशासन) पर आर्थिक प्रतिबंध हटाने (Economic sanctions) तथा 2015 के परमाणु समझौते (2015 Nuclear Deal) को बहाल करने के लिए दबाव बनाना है.


सरकारी टीवी पर प्रसारित खबर में कहा गया है कि ईरान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के निरीक्षकों के साथ सहयोग घटाने की अपनी धमकी के बाद ठोस कदम उठाए हैं. ईरान ने कहा है कि उसकी योजना 'अतिरिक्त प्रोटोकॉल' के क्रियान्वयन को रोकना है, जो ऐतिहासिक परमाणु समझौता के तहत तेहरान (Tehran) और IAEA के बीच हुआ था. यह प्रावधान संयुक्त राष्ट्र के निरीक्षकों को ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों और परमाणु कार्यक्रमों का मुआयना करने की कहीं अधिक शक्तियां प्रदान करता है.


IAEA को परमाणु स्थलों की तस्वीरें प्राप्त करने से रोका जाएगा
हालांकि, यह अस्पष्ट है कि इस पहुंच को सीमित कैसे किया जाएगा. वहीं, ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ (Mohammad Javad Zarif) ने कहा है कि IAEA को परमाणु स्थलों पर निगरानी कैमरों की तस्वीरें प्राप्त करने से रोक दिया जाएगा. ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने इन कैमरों की तस्वीरों या फुटेज को तीन महीने तक अपने पास रखने और उसके बाद IAEA को तभी सौंपने का वादा किया है, जब वह प्रतिबंधों में ढील देगा.

परमाणु समझौते से बाहर हुआ अमेरिका
गौरतलब है कि करीब तीन साल पहले अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था और ईरान पर नये सिरे से प्रतिबंध लगा दिये थे, जिससे इस खाड़ी देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी. बाइडेन प्रशासन पर दबाव बढ़ाने के लिए ईरान ने 2015 के प्रतिबंधों का क्रमिक रूप से उल्लंघन करने की घोषणा की है. ईरान अपनी इस मांग पर अडिग है कि वह ट्रंप द्वारा लगाये गये प्रतिबंधों से कम किसी भी चीज पर राजी नहीं होगा. बाइडेन प्रशासन 2015 के परमाणु समझौते को इसके क्रियान्वयन की पटरी पर वापस लाना चाहता है, लेकिन तेहरान से इसे अपेक्षा के अनुरूप प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है. ईरान के सख्त रुख ने आगे की राह कठिन कर दी है.


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