अफगानिस्तान में मानवीय संकट, हालात से निपटने के लिए UK के अधिकारियों ने की तालिबान से बात
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा कि अफगान, विशेष रूप से महिलाएं और लड़कियां सुरक्षा जोखिमों का सामना कर रही हैं.
ब्रिटेन (Britain) के शीर्ष अधिकारियों ने अफगानिस्तान (Afghanistan) में गंभीर मानवीय स्थिति के बारे में तालिबान (Taliban) नेतृत्व के साथ बातचीत की. ब्रिटिश विदेश कार्यालय (British Foreign Office) ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी. ब्रिटेन सरकार (British Government) के एक प्रवक्ता ने कहा कि युद्धग्रस्त मुल्क के गहरे होते मानवीय संकट (Afghanistan Humanitarian Crisis) से कैसे निपटा जाए, इस पर बातचीत के लिए ब्रिटिश प्रतिनिधि गुरुवार को अफगानिस्तान पहुंचा. तालिबान के कब्जे के बाद से ही अफगानिस्तान की स्थिति बिगड़ रही है.
ब्रिटेन के अकाल रोकथाम और मानवीय मामलों के विशेष दूत निक डायर (Nick Dyer), अफगानिस्तान में यूके मिशन के चार्ज डी'अफेयर्स ह्यूगो शॉर्टर (Hugo Shorter) और अफगानिस्तान में मिशन के उप प्रमुख और राजनीतिक परामर्शदाता हेस्टर वाडम्स (Hester Waddams) ने तालिबान के नेताओं से बात की. अफगानिस्तान में यूके मिशन ने मौलवी अमीर खान मुत्ताकी (Amir Khan Muttaqi) और अब्दुल हक वासीक (Abdul Haq Wasiq) समेत वरिष्ठ तालिबान अधिकरियों से मुलाकात की. इस दौरान मानवीय मुद्दों से निपटने पर चर्चा हुई.
तालिबान पर लगा मानवाधिकार के हनन का आरोप
ब्रिटिश सरकार से प्रवक्ता ने कहा, 'गंभीर मानवीय स्थिति पर चर्चा करने के साथ-साथ अधिकारियों ने तालिबान को महिलाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यकों सहित मानवाधिकारों के बारे में ब्रिटेन की गंभीर चिंताओं और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के साथ व्यवहार के बारे में स्पष्ट किया.' वहीं, ह्यूगो शॉर्टर ने एक ट्वीट में कहा, दोनों पक्षों ने मानवीय संकट, आतंकवाद और देश में मानवाधिकार की स्थिति पर ब्रिटेन की गंभीर चिंताओं पर चर्चा की, जिसमें महिलाएं, लड़कियां और अल्पसंख्यक समुदाय के साथ हुई ज्यादतियां शामिल हैं. तालिबान सरकार पर मानवाधिकार के हनन के आरोप लगते रहे हैं.
55 लाख लोग हुए विस्थापित
अफगानिस्तान में पिछले साल संकट की शुरुआत हुई थी, जिसकी वजह से सात लाख से अधिक अफगान लोगों को घरों को छोड़कर जाना पड़ा है. संयुक्त राष्ट्र माइग्रेशन एजेंसी ने मंगलवार को बताया कि 55 लाख लोग पिछले साल ही विस्थापित हुए हैं. इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) के उप निदेशक उगाची डेनियल्स द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, अफगानिस्तान में जारी संकट मानवीय जरूरतों को तेज कर रहा है और देश के अंदर और साथ ही क्षेत्र के देशों में विस्थापन के जोखिम को बढ़ा रहा है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा कि अफगान, विशेष रूप से महिलाएं और लड़कियां सुरक्षा जोखिमों का सामना कर रही हैं.