म्यांमार में बढ़ा मानवीय संकट, 30 लाख लोगों को मदद की जरूरत: UN
उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती देश में जारी असुरक्षा की स्थिति, नौकरशाही से संबंधित बाधाएं और बैंकिंग प्रणाली में व्यवधान हैं.
सैन्य तख्तापलट के बाद आर्थिक संकट सहित तमाम परेशानियां झेल रहे म्यांमार के लोग अब मानवीय संकट में घिरते जा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ ने कहा है कि इस देश के 30 लाख लोगों को मदद की जरूरत है (Myanmar Coup). इस मामले में सोमवार को मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) ने एक बयान जारी किया है. उसने कहा है कि म्यांमार मानवीय संकट से जूझ रहा है, जो कोरोना वायरस महामारी और 1 फरवरी को हुए तख्तापलट के बाद बढ़ा है.
बयान के अनुसार, 'करीब 30 लाख लोगों को मानवीय मदद की जरूरत है. इनमें से 20 लाख लोग तख्तापलट के बाद जुड़े हैं. मुख्य रूप से यांगून और मांडले में शहरी और उपनगरीय क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों के साथ-साथ दक्षिण-पूर्वी और पश्चिमी म्यांमार में संघर्ष से प्रभावित लोग काफी मुश्किल में जीवन जी रहे हैं.' एजेंसी ने कहा है कि 1 फरवरी के बाद से जारी सशस्त्र संघर्ष और बढ़ती असुरक्षा के कारण 220,000 से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं (Myanmar Junta Government). सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में काचिन, शान, चिन, काया और कायिन राज्य, सगाइंग और मैगवे से जुड़े क्षेत्र शामिल हैं.
फरवरी से जारी है उथल-पुथल
म्यांमार में 1 फरवरी के बाद से उथल-पुथल देखी जा रही है. इस दिन सीनियर जनरल मिंग आंग हलांग के नेतृत्व में देश की सेना ने लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार को सत्ता से बेदखल करते हुए तख्तापलट कर दिया था. इसके साथ ही एक साल के लिए आपातकाल की घोषणा कर दी गई. जिसके बाद देश में भारी संख्या में लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया (Protests in Myanmar). इस दौरान हिंसक झड़पें भी देखने को मिलीं. सैनिकों ने प्रदर्शनों को दबाने के लिए सिर पर गोली मारकर लोगों की हत्या कर दी थी. जबकि नेताओं सहित बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार भी किया गया.
चार लाख से अधिक कोविड केस दर्ज
ओसीएचए ने अपने बयान में कहा है कि कोविड-19 महामारी का खतरा अब भी बना हुआ है. 24 सितंबर तक देश में इसके 455,000 से अधिक मामले सामने आए हैं, जबकि 17,000 लोगों की मौत दर्ज की गई है (Covid-19 Situation in Myanmar). ऐसी आशंका है कि असल संख्या इससे ज्यादा हो सकती है क्योंकि देश में कोरोना जांच बहुत कम स्तर पर की जा रही है. संयुक्त राष्ट्र और उससे जुड़ी संस्थाएं लोगों तक मदद पहुंचाने की कोशिशें कर रही हैं. लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती देश में जारी असुरक्षा की स्थिति, नौकरशाही से संबंधित बाधाएं और बैंकिंग प्रणाली में व्यवधान हैं.