बढ़ती जनसंख्या को चीन ने कैसे किया कंट्रोल
रविवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के लिए जनसंख्या नीति पेश की
रविवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के लिए जनसंख्या नीति पेश की. साल 2021 से 2030 तक लागू रहने वाली इस नीति के तहत देश के सबसे बड़े राज्य में बढ़ती आबादी पर नियंत्रण लगाने की कोशिश की जाएगी. यूपी में इस नीति के सामने आने के बाद से अब फिर से हर तरफ यह बहस हो रही है कि आखिर देश में कब ऐसा कोई कानून बनेगा जिसके बाद बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सकेगा.
क्यों लगानी पड़ी चीन को लगाम
एक समय में चीन की तेजी से बढ़ती आबादी को आर्थिक विकास के रास्ते में रोड़ा माना गया था. इसके बाद सन् 1979 में चीनी सरकार की तरफ से संवेदनशील वन चाइल्ड पॉलिसी को लागू कर दिया गया. इसके साथ ही बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम भी लाए गए. कम बच्चों वाले परिवार को सरकार की तरफ से कई तरह के आर्थिक फायदे भी दिए गए थे. कई दशकों बाद चीन ने साल 2016 में वन चाइल्ड पॉलिसी को खत्म कर दिया. चीन को यह फैसला वृद्धों की बढ़ती संख्या और प्रोफेशनल्स की कमी के चलते उठाना पड़ा था. अब इस देश में शादीशुदा लोग दो बच्चे कर सकते हैं और उन्हें फैमिली प्लानिंग सर्विस सर्टिफिकेट हासिल करने की भी जरूरत नहीं है.
बच्चा पैदा करने की सरकारी मंजूरी
चीन की वन चाइल्ड पॉलिसी के तहत शादीशुदा लोगों को गर्भावस्था का पता लगते ही फैमिली प्लानिंग सर्विस सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करना होता था. सरकार की तरफ से इस सर्टिफिकेट को बच्चे के जन्म की मंजूरी माना जाता था. यह एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया होती थी जिसमें कई तरह की अफसरशाही की मुश्किलें शामिल थीं. इन मुश्किलों में से एक होती थी कम से कम 16 अलग-अलग विभागों के अधिकारियों का स्टैंप हासिल करना. इस प्रक्रिया में बहुत से कदम इतने जटिल होते थे कि कुछ कपल्स को खुद को बेरोजगार तक बता देते थे ताकि उन्हें कम से कम एक आफिस का चक्कर लगाने की मुश्किल का सामना न करना पड़े.
गर्भवती महिलाओं का रिकॉर्ड
जो माता-पिता इस सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करते थे, उन पर सरकार का कड़ा पहरा रहता था. यहां तक कि सरकार उनके नामों और घर के पते को पब्लिक बुलेटिन बोर्ड तक पर पोस्ट करवा देती थी. इस जानकारी के साथ ही मां का आईडेंटिफिकेशन नंबर भी पोस्ट होता था. यह नंबर भारत में आधार नंबर और अमेरिका के सोशल सिक्योरिटी नंबर की तरह होता है. इस आईडेंटिफिकेशन नंबर की बदौलत ही चीन की सरकार इस बात का रिकॉर्ड रखती है कि कौन सी महिला गर्भवती है. अगर माता-पिता को बच्चे के जन्म से पहले सर्विस सर्टिफिकेट नहीं मिलता है तो फिर बच्चे का कोई कानूनी रिकॉर्ड नहीं होता है और ऐसे में उसे कोई सुविधा नहीं मिलेगी.
भारत के लिए क्यों जरूरी है आबादी पर नियंत्रण
यूनाइटेड नेशंस (UN) की मई में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जनसंख्या के लिहाज से साल 2027 में भारत, चीन को भी पीछे छोड़ देगा. अभी आबादी के मामले में चीन पहले नंबर पर है. चीन ने बहुत मुश्किल से बढ़ती आबादी पर लगाम लगाई थी और अब भारत को भी कुछ वैसा ही करने की जरूरत है. एक नजर डालिए कि आखिर क्यों चीन को जनसंख्या पर लगाम लगाने की जरूरत पड़ गई थी. यूएन की साल 2019 में आई रिपोर्ट के मुताबिक चीन की जनसंख्या 1.43 बिलियन है और भारत की आबादी इस समय 1.37 बिलियन है. साल 2050 तक भारत की आबादी में 2050 मिलियन लोग और जुड़ेंगे.