'होप' ऑर्बिटर ने लीं मंगल के Aurora की अब तक की सबसे अद्भुत फोटोज
मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं? इस सवाल का जवाब अमेरिका और चीन के रोवर ढूंढ रहे
ये तस्वीरें इसलिए इतनी जरूरी नहीं हैं क्योंकि ये खूबसूरत हैं बल्कि इसलिए भी जरूरी हैं क्योंकि इससे ये समझने में आसानी होगी कि कैसे अरबों साल पहले मंगल का घना वातावरण गायब हो गया था (UAE's Mars Mission the Hope Aim and Importance). अगर मंगल पर जीवन का पता लगाना है तो वहां के पुराने और वर्तमान के वातावरण की मौजूदगी और उससे जुड़ी जानकारी का होना बेहद जरूरी है.
मंगल ग्रह के ऑरोरा में आखिर इतना खास क्या है? दरअसल ऑरोरा उस रोशनी को कहते हैं, जो धरती के मैग्नेटोस्फीयर में सोलर विंड के हाई-एनर्जी पार्टकिल्स से टक्कर के बाद उत्पन्न होती है. यही पार्टिकल्स हवा में घुले दूसरे पार्टिकल्स में एनर्जी को ट्रांसफर करते हैं और इससे रोशनी उत्पन्न होती है (UAE Mars Mission Image of Mars). चूंकी धरती पर चुंबकीय क्षेत्र है, इसलिए यहां ऑरोरा को ध्रुवों पर देखा जा सकता है.
दूसरी ओर मंगल पर ऐसा मुमकिन नहीं है. यहां पहले चुंबकीय क्षेत्र हुआ करता था, जिसके कुछ हिस्से ही अभी बाकी हैं. यहां पैदा होने वाले ऑरोरा को डिस्क्रीट ऑरोरा भी कहा जाता है. इससे पहले ये कभी विजिबल लाइट में नहीं देखे गए हैं. मिशन टीम का हिस्सा यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के जस्टिन डेगन ने कहा कि सभी लाइट सेंसिटिव उपकरण मंगल पर दिन की स्थिति में तस्वीरें लेने के लिए डिजाइन किए गए हैं (UAE Mars Mission Name). होप ने ये तस्वीरें अल्ट्रावॉयलेट रेज में ली हैं. जिसकी वेवलेंथ दूसरे अंतरिक्षयान से ली गई तस्वीरों से कम होती है.
अब मंगल ग्रह के ऑरोरा के लेकर अधिक जानकारी एकत्रित की जाएगा (About UAE Mars Mission). डेगन का कहना है कि इससे पता चलेगा कि कैसे मंगल के वातावरण में बदलाव होता है. होप ऑर्बिटर पर आएं, तो इसे मंगल का पहला ग्लोबल वेदर मैप तैयार करने के लिए बनाया गया था. यह मंगल के हिस्सों की रात और दिन दोनों समय में निगरानी कर सकता है. यानी मंगल पर एक साल में ये उसके हर एक हिस्से की निगरानी कर सकता है.