'समलैंगिकता' अब अपराध नहीं, इस देश ने लिया बड़ा फैसला, बना जश्न का दिन

भूटान की संसद में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में समलैंगिकता को अपराध |

Update: 2020-12-12 09:42 GMT

भूटान की संसद में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक (Parliament joint Comitee) में समलैंगिकता को अपराध (Homosexuality Decriminalizes) की श्रेणी से बाहर करने का फैसला लिया गया है. सदन की संयुक्त बैठक में यह फैसला गुरूवार को लिया गया. भूटान में समलैंगिकता को पहले अपराध की श्रेणी में आता था और दंड संहिता की धारा 213 और 214 के तहत इसके दोषियों को सजा दी जाती थी. समलैंगिकता को अब तक 'अप्राकृतिक सेक्स' (Unnatural Sex) के तहत रखा गया था.

बिल के पक्ष में 100 फीसदी मतदान
सांसद और संयुक्त संसदीय समित के उपाध्यक्ष उज्ञेन वांगडी ने इसमें बदलाव लाने के बारे में कहा कि दोनों सदनों के 69 सदस्यों में से कुल 63 लोगों ने इसे अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के लिए मत दिया. छह सांसद सदस्य वोटिंग के मौके पर अनुपस्थित रहे. वांगडी ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि अब समलैंगिकता को अप्राकृतिक सेक्स के दायरे में रखकर विचार नहीं किया जाएगा. हालांकि, वांगडी ने इस बारे में और कोई टिप्पणी नहीं की.

इस कानून पर भूटान के राजा की मुहर लगनी बाकी
हालांकि समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर रखने के बारे कानून पर भूटान के राजा की मुहर लगनी बाकी है. राजा की सहमति के बाद ही समलैंगिकता कानूनी हो जाएगा. मानवाधिकार कार्यकर्ता ताशी शेटेन ने कहा कि वह इस खबर के सुनने के बाद से बहुत गदगद है. उन्होंने संसद की इस पहल को एलजीबीटी कम्युनिटी की जीत बताया.
'आज भूटान के नागरिकों के लिए जश्न का दिन'
एलजीबीटी कम्युनिटी के काम करने वाली संस्था रेनबो भूटान की डायरेक्टर शेटेन ने रॉयटर्स से कहा कि मैं समझती हूं कि समलैंगिकता को कानूनी बनाने के बारे में विधेयक को मंजूरी मिलना मानवाधिकार की जीत के दिवस के रूप है और यह हर भूटानी नागरिकों की जीत है. उन्होंने कहा कि मैं समझती हूं कि हरेक व्यक्ति जो भूटान की एलजीबीटी कम्युनिटी के पक्ष में खड़ा रहा, यह उन सबकी जीत है और उन्हें आज के दिन को जश्न के तौर पर मनाना चाहिए.

भारत में समलैंगिकता को 2018 में कानूनी करार दिया गया
भूटान की आबादी करीब 8 लाख है और यहां कुल आबादी का अधिकांश हिस्सा बुद्ध धर्म को मानने वाला है. इस पहल के बाद भूटान सहित कई एशियाई देशों में एलजीबीटी कम्युनिटी को लेकर प्रतिबंधों को खत्म कर दिया गया है. भारत में सदियों से चली आर रही समलैंगिकता को वर्ष 2018 में अपराध की श्रेणी से बाहर किया जा चुका है. भारत में इसको लेकर समलैंगिकता को लेकर एलजीबीटी और मानवाधिकार समर्थकों ने भी खूब जश्न मनाया था. भारत में एलजीबीटी की कुल आबादी 25 लाख से भी ज्यादा है.
नेपाल में अगले साल राष्ट्रीय जनगणना के समय पहली बार एलजीबीटी की आबादी की गिनती की जाएगी ताकि उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराई जा सके. आपको यह मालूम हो कि भूटान 'सकल राष्ट्रीय खुशहाली' की सूची में बेहतर स्थिति में है.


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