हिटलर के पालतू मगरमच्छ की हुई थी लॉकडाउन में मौत, अब रखा जाएगा म्यूजियम पर...

दुनिया के हर एक बच्चे की लालसा होती है कि एक दिन वो मगरमच्छ का दीदार जरूर करें

Update: 2020-12-14 10:16 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया के हर एक बच्चे की लालसा होती है कि एक दिन वो मगरमच्छ का दीदार जरूर करें. मगरमच्छ (Alligator ) बड़ा ही खतरनाक जानवर माना जाता है. इसलिए लोग इसके करीब जाने से भी हिचकते हैं. आज हम आपको ऐसे मगरमच्छ के बारे में बता रहे हैं जिसे उसकी मौत के बाद भी सहज कर रखा गया है. दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाह एडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) के मगरमच्छ सैटर्न (Saturn) को मरने के बाद भी रूस के एक म्यूजियम में प्रदर्शनी के लिए रखा जाएगा.


एक खबर में कहा गया है कि 22 मई 2020 को मॉस्को चिड़ियाघर (Mascow Zoo) में सैटर्न (Saturn) की मौत हो गई थी. ये एडोल्फ हिटलर का पालतू मगरमच्छ था. इस मगरमच्छ का नाम सैटर्न रखा गया था. सोवियत यूनियन की सेना ने बाद में इसे मास्को के चिड़ियाघर में रखवा दिया. 1946 से लेकर अब तक वो मास्को के चिड़ियाघर में रह रहा था. सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद ब्रिटेन के सैनिकों को बर्लिन में यह मगरमच्छ मिला था. जिसे बाद में रूसी सेना को सौंप दिया गया था.

अब कोविड-19 के प्रतिबंध हटने के बाद जब भी हालात फिर से सामान्य होंगे और यह म्यूजियम फिर खुलेगा तो लोग इस मृत मगरमच्छ सैटर्न को करीब से देख सकेंगे. इस समय मॉस्को में कोरोनावायरस (Coronavirus) के संक्रमण के कारण कई तरह की पाबंदिया लागू हैं. ऐसे में नए साल में इन पाबंदियों के खत्म होने के बाद ही इसे प्रदर्शित किया जाएगा. सैटर्न मगरमच्छ तानाशाह हिटलर के पसंदीदा जानवरों में शुमार किया जाता था.

मास्को चिड़ियाघर (Mascow Zoo) के पशु चिकित्सक दिमित्री वासिलीव ने भी दावा किया है कि हिटलर ने कई मौकों पर इस मगरमच्छ की जमकर प्रशंसा भी की है. सैटर्न मगरमच्छ का जन्म 1936 में मिसिसिपी के जंगलों में हुआ था. जहां से पकड़कर इसे बर्लिन लाया गया था. साल 1943 में बर्लिन पर बमबारी हुई और इसके बाद सैटर्न अचानक से लापता हो गया. लेकिन तीन साल बाद इसे ब्रिटिश सैनिक खोजने में सफल रहे.


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