ऐतिहासिक इराक यात्रा! पोप फ्रांसिस का बगदाद में हुआ भव्य स्वगात, इनसे करेंगे मुलाकात
पोप फ्रांसिस
पोप फ्रांसिस (Pope Francis) शुक्रवार को ऐतिहासिक इराक (Iraq) दौरे पर यहां पहुंचे. उनका ये दौरा ऐसे समय हुआ है जब इराक में दशकों तक चले युद्ध के दौरान ईसाई समुदाय (Christian Community) के लोगों की संख्या तेजी से घटी है. पोप शांति और सह-अस्तित्व का संदेश लेकर इराक आए हैं ताकि देश में रचे-बसे ईसाई अल्पसंख्यक को राहत मिल सके. 2003 में अमेरिका (America) के नेतृत्व में इराक पर हुए हमले के बाद हुए विभिन्न संघर्षों के दौरान बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक देश छोड़कर भाग गए.
इराक की राजधानी बगदाद (Bhagdad) से पोप फ्रांसिस की यात्रा शुरू होगी, जहां वह विभिन्न कार्यक्रमों को संबोधित करेंगे. इसके अलावा वह अन्य विभिन्न धार्मिक शहरों में कई धार्मिक कार्यक्रमों में भी भाग लेंगे. उनका विमान स्थानीय समयानुसार दोपहर में करीब दो बजे यहां उतारा. विमान पर वेटिकन (Vatican) और इराक के झंडे लगे हुए थे. उनके स्वागत के लिए भव्य तैयारियां की गयी थीं और उनकी एक झलक पाने के लिए बड़ी संख्या में लोग हवाई अड्डा के पास एकत्र थे. बता दें कि वह नजफ में शीर्ष शिया नेता अली अल-सिस्तानी (Ali al-Sistani) से मुलाकात करेंगे.
बगदाद की सड़कों पर लगे इराक-वेटिकन के झंड़ें
पोप फ्रांसिस के इराक पहुंचने से देश में रहने वाले ईसाई समुदाय खासा उत्साहित है. बगदाद में पोप के पोस्टर और बैनर लगाए गए हैं. इन पोस्टरों में लिखा गया है, 'हम सब भाई हैं'. राजधानी में कई सड़कों पर इराक और वेटिकन के झंड़ों को लगाया गया है. इराक की सरकार पोप फ्रांसिस के दौरे से दिखाना चाहती है कि इसने हाल के सालों में देश को सुरक्षित बनाया है. हाल के सालों में इस युद्धग्रस्त मुल्क में आतंकी हमलों में गिरावट हुई है. पोप फ्रांसिस और वेटिकन से उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल की सुरक्षा इराकी सुरक्षाबल कर रहे हैं.
इस्लामिक स्टेट ने ढाए ईसाई समुदाय पर जुल्म
पोप फ्रांसिस इराक की अपनी इस यात्रा से यहां रहने वाले ईसाई समुदाय का ध्यान दुनिया की ओर करना चाहते हैं. इराक में रहने वाले ईसाई समुदाय ने इस्लामिक स्टेट के खूंखार शासन के दौरान यहां से बड़ी संख्या में पलायन किया. एक समय में इराक में ईसाई समुदाय एक बड़ी संख्या वाला अल्पसंख्यक समुदाय हुआ करता था. लेकिन 2003 में अमेरिका के यहां घुसपैठ करने और फिर इस्लामिक स्टेट के आतंकियों द्वारा ढाए गए जुल्मों के चलते इनकी संख्या खासा कम हो गई. IS के आतंकियों ने पारंपरिक ईसाई कस्बों को पूरी तरह तबाह कर दिया.