पाकिस्तान में करक जिला प्रशासन के मंदिर प्रांगण के भीतर दीवार खड़ी करने पर हिंदू समुदाय ने जताई चिंता

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के दावे लगातार खुद अपनी पोल खोलते हैं। ताजा मामला खैबर पख्तूनख्वा का है

Update: 2021-09-29 01:59 GMT

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के दावे लगातार खुद अपनी पोल खोलते हैं। ताजा मामला खैबर पख्तूनख्वा का है जहां करक जिले के टेरी शहर में हिंदू मंदिर परिसर पर जिला प्रशासन ने अतिक्रमण कर चारदीवारी का निर्माण शुरू करा दिया है। इस अवैध कब्जे और निर्माण को लेकर यहां के हिंदू समुदाय ने चिंता जताई है।

जिला प्रशासन ने मौलवी की आपत्ति के बाद परिसर पर कब्जा कर निर्माण शुरू कराया
बता दें कि ये वही मंदिर है जहां कई कट्टरपंथियों ने तोड़फोड़ की थी और अदालत ने मंदिर संरक्षण की बात कही थी। दरअसल विवाद ऐसे शुरू हुआ कि यहां जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फाजी (जेयूआई-एफ) का एक स्थानीय मौलवी हाफिज फैजुल्ला मंदिर के पास मदरसा चलाता है। उसने स्थानीय समर्थकों के साथ मंदिर पर कई आपत्तियां उठाईं, जिसके बाद जिला प्रशासन ने सुरक्षा के नाम पर मंदिर परिसर में चारदीवारी का निर्माण शुरू कर दिया
एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने एक बुजुर्ग हिंदू के हवाले से बताया कि इस निर्माण कार्य में आयुक्त और उपायुक्त ने भी किसी की नहीं सुनी। स्थानीय मुस्लिमों की नाराजी को देखते हुए मुख्यमंत्री के अल्पसंख्यक मामलों के विशेष सहायक वजीरजादा ने भी इस मुद्दे को हल नहीं किया। फैजुल्ला ने मंदिर परिसर में तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए बनने वाले कमरों के निर्माण पर भी आपत्ति ली।
ईशनिंदा पर स्कूल प्रिंसिपल को सुनाई गई मौत की सजा
पाकिस्तान की एक अदालत ने ईशनिंदा के आरोप में स्कूल की एक प्रधानाध्यापिका को मौत की सजा सुनाई है। लाहौर की जिला एवं सत्र अदालत ने निश्तर कॉलोनी के एक निजी स्कूल की प्रधानाध्यापिका सलमा तनवीर को मौत की सजा सुनाई और उन पर 5000 पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश मंसूर अहमद ने फैसले में कहा कि तनवीर ने मुस्लिम धर्मगुरु को इस्लाम का अंतिम पैगंबर न मानकर ईशनिंदा की है। लाहौर पुलिस ने 2013 में स्थानीय मौलवी की शिकायत पर तनवीर के खिलाफ ईशनिंदा का मामला दर्ज किया था। उस पर खुद को इस्लाम का पैगंबर होने का दावा करने का आरोप लगाया गया था।
तनवीर के वकील मुहम्मद रमजान ने दलील दी थी कि उनके मुवक्किल की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और अदालत को इस तथ्य पर गौर करना चाहिए। अभियोजन पक्ष द्वारा अदालत में सौंपी गई 'पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ' के एक मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया कि संदिग्ध मुकदमा चलाने के लिए फिट है क्योंकि उसकी मानसिक स्थिति बिल्कुल ठीक है।

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